नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रोपड़ ने एक उपकरण ‘जीवन वायु’ विकसित किया है जिसे सीपीएपी मशीन के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, यह देश का पहला ऐसा उपकरण है जो बिना बिजली के भी काम करता है और अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर व ऑक्सीजन पाइपलाइन जैसी दोनों प्रकार की ऑक्सीजन उत्पादन इकाइयों के लिए अनुकूलित है। ये प्रावधान अन्य मौजूदा सीपीएपी मशीनों में उपलब्ध नहीं हैं।
निरंतर सकारात्मक वायुमार्ग दबाव (सीपीएपी) नींद के दौरान सांस लेने में समस्या, जिसे नींद श्वास अवरोध (स्लीप एपनिया) कहा जाता है, वाले मरीजों के लिए एक उपचार पद्धति है। यह मशीन आसान सांस लेने को लेकर हवा के रास्ते को खुला रखने के लिए हल्के वायु दाब का उपयोग करती है। इसका उपयोग उन नवजातों के इलाज के लिए भी किया जाता है, जिनके फेफड़े पूरी तरह से विकसित नहीं हुए हैं। यह मशीन बच्चे के फेफड़ों को फुलाने में मदद करने के लिए उसके या उसकी नाक में हवा भरती है। कोविड-19 संक्रमण के शुरुआती चरणों के दौरान यह उपचार सबसे अधिक जरूरी है। यह फेफड़ों के नुकसान को कम करती है और मरीजों को दुष्प्रभाव से उबरने में सहायता करती है।
मेटलर्जिकल एंड मटेरियल्स की सहायक प्रोफेसर डॉ. खुशबू राखा, जिन्होंने आईआईटी रोपड़ की एडवांस्ड मटेरियल्स एंड डिजाइन लैब में उपकरण विकसित किया है, ने कहा, “मौजूदा कोविड महामारी के दौरान यह मशीन समय की जरूरत थी जब वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जैसे चिकित्सा उपकरणों के सहारे लोगों के जीवन को बचाने के लिए विद्युत की आपूर्ति प्रमुख चिंता का विषय है।”
डॉ. रेखा ने बताया, इसमें एयर एंटरटेनमेंट छोर पर एक इनबिल्ट वायरल फिल्टर है, जिसकी वायरल प्रभावशीलता 99.99 फीसदी है। वायरल फिल्टर यह सुनिश्चित करता है कि हवा, वातावरण से बीमारी पैदा करने वाले जीवाणु को नहीं लाती है। इस उपकरण को 3डी प्रिंटिंग का उपयोग करके बनाया गया है और इसका यांत्रिक परीक्षण भी किया गया है।
‘जीवन वायु’ 20 सेंटीमीटर H2O तक के निरंतर सकारात्मक दबाव को बनाए रखते हुए उच्च प्रवाह ऑक्सीजन (20-60 एलपीएम) प्रदान कर सकता है। इस उपकरण को 5-20 सेमी H2O के पीईईपी (पॉजिटिव एन्ड-एक्सपायरटरी प्रेशर) के साथ 40 फीसदी से ऊपर के FiO2 को बनाए रखने के लिए डिजाइन किया गया है।
डॉ. खुशबू राखा और उनकी टीम ने चंडीगढ़ स्थित पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज की सीमेन्स सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में रैपिड प्रोटोटाइपिंग लैब के विभाग प्रभारी सुरेश चंद के साथ उपकरण की 3डी प्रिंटिंग के लिए सहभागिता की है। यह उपकरण चिकित्सा परीक्षण और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए तैयार है।