नई दिल्ली। रेशम के धागों ने सोशल मीडिया पर चल रही वर्चुअल राखियों को बौना साबित कर दिया है। वाट्सएप, फेसबुक, स्काइप, टेलीग्राम जैसे बड़े सोशल प्लेटफॉर्म को छोडकर बहनें, भाईयों की कलाइयाँ सजाने के लिए डाक से रंग-बिरंगी राखियाँ भेजना पसंद कर रही हैं । डाक विभाग भी इसके लिए मुस्तैद है और तमाम तैयारियाँ किए हुये है। उत्तरी गुजरात रीजन, अहमदाबाद के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि अहमदाबाद रीजन से अब तक 3 लाख से ज्यादा राखियाँ विभिन्न डाकघरों से देश-विदेश में भेजी गईं। रक्षाबंधन के एक दिन पूर्व रविवार को भी डाक पहुंचाने के विशेष प्रबंध किए गए हैं, ताकि किसी भाई की कलाई सूनी न रहे।
नई दिल्ली। रेशम के धागों ने सोशल मीडिया पर चल रही वर्चुअल राखियों को बौना साबित कर दिया है। वाट्सएप, फेसबुक, स्काइप, टेलीग्राम जैसे बड़े सोशल प्लेटफॉर्म को छोडकर बहनें, भाईयों की कलाइयाँ सजाने के लिए डाक से रंग-बिरंगी राखियाँ भेजना पसंद कर रही हैं । डाक विभाग भी इसके लिए मुस्तैद है और तमाम तैयारियाँ किए हुये है। उत्तरी गुजरात रीजन, अहमदाबाद के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि अहमदाबाद रीजन से अब तक 3 लाख से ज्यादा राखियाँ विभिन्न डाकघरों से देश-विदेश में भेजी गईं। रक्षाबंधन के एक दिन पूर्व रविवार को भी डाक पहुंचाने के विशेष प्रबंध किए गए हैं, ताकि किसी भाई की कलाई सूनी न रहे।
राखी का क्रेज देश से बाहर विदेशों में भी खूब है। पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि डाकघरों से विदेशों के लिए भी स्पीड पोस्ट और रजिस्टर्ड डाक द्वारा खूब राखियाँ भेजी जा रही हैं। इनमें ज्यादातर राखियाँ संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, कनाडा, रुस, संयुक्त अरब अमीरात, जर्मनी, जापान, चीन इत्यादि देशों में भेजी गई हैं। वहीं विदेशों में रह रही बहनें भी अपने भाईयों को राखी भेज रही हैं, जो डाक विभाग के माध्यम से तुरंत पहुंचाई जा रही हैं।