कानपुर।आई आई टी कानपुर ने एक सामाजिक पहल करते हुये, गाँव की महिलाओं से उन्नत गुणवत्ता वाले मास्क बनवाए और उन्हे सीधे ग्राहकों से जोड़ दिया। गाँव में बनकर हर रोज़ यह मास्क आई आई टी कैम्पस लाये जाते हैं जहां इन्हे सैनेटाइज़ और पैकेज किया जाता है। पिछले तीन माह में हजारों मास्क मार्केट में लाए जा चुके हैं। उन्नत भारत अभियान आई आई टी कानपुर और कानपुर परिवर्तन फॉरम द्वारा मास्क बनाने का काम अप्रैल माह में शुरू किया गया था। समन्वयक रीता सिंह ने बताया कि ‘उन्नति मास्क को आई आई टी कानपुर की देख-रेख में तैयार किया गया है। ग्राहकों ने इसको इसलिए पसंद किया है क्योंकि यह क्वालिटी मास्क है, और इस प्रोजेक्ट का सभी लाभ ग्रामीण महिलाओं के लिए ही जा रहा है। ये मास्क बाज़ार के अन्य मास्क से भिन्न हैं – इसमे 4 प्लाई है और अंदर स्टेटीक चार्ज वाली शील्ड है जो कि नाक व मुंह अच्छे से ढकता है, साथ ही हवा किनारे से लीक नही होती है। इसका फायदा यह भी है कि चश्मे में फ़ाग नहीं होता है। मास्क तरह तरह के रंगो में उपलब्ध है। मास्क की डिज़ाइनर दिल्ली की सुरभी सक्सेना है
उन्नत भारत अभियान के प्रो संदीप संगल ने कहा ‘पिछले वर्ष हमारे विद्यार्थियों नें गाँव का विस्तृत सर्वे किया और कई ग्रामीण उत्पादों को चिनहित किया। यह देखने में आया कि महिलाएं सिलाई-बुनाई, कढ़ाई और क्रोशिया सभी में बहुत अच्छा काम करती हैं। थोड़े डिज़ाइन इनपुट, वित्तीय मदद और मार्केट के सपोर्ट से बहुत से प्रोडक्टस गाँव से सीधे शहर पहुँच सकते हैं।
इस सामाजिक प्रयोग में आई आई टी के साथ तामाम पूर्व छात्र और छात्राएँ भी आगे आ रहे है। शुरुआत नितिन त्यागी और राज नाथ के डोनेशन और उनकी दी हुई सिलाई मशीन से हुई। योजना है कि गाँव में ही एक सिलाई प्रशिक्षण और उत्पादन केंद्र बनाने की जिससे और ग्रामीण महिलाएं भी अपनी आजीविका के साथ अच्छा मुनाफा भी कमाएं।
आई आई टी कानपुर के निदेशक प्रो अभय करंदीकर ने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि हमारी टीम ने ऐसे मास्क तैयार किए हैं जिन्हे बार बार धोकर इस्तेमाल किया जा सकता है। हम हमेशा गाँव वालों के साथ हैं और इस तरह के प्रोजेक्ट्स को सपोर्ट देते रहेंगे।