कानपुर नगर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सहायक निदेशक शोध डॉ. मनोज मिश्र ने किसानों हेतु गेहूं फसल में खरपतवार प्रबंधन विषय पर एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया कि गेहूं की फसल में मुख्यता बथुआ, हिरनखुरी, मोथा घास, अकरी, जंगली जई, कृष्ण नील आदि खरपतवार हो जाते हैं।
डॉ. मिश्र ने बताया कि इन की अधिकता से गेहूं की पैदावार में 35 से 40% तक की कमी आ जाती है। यदि समय रहते खरपतवारों का प्रबंधन कर लिया जाए तो नुकसान से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि खरपतवार नियंत्रण के लिए खुरपी की सहायता से निराई गुड़ाई करना सबसे अच्छा विकल्प है। क्योंकि इससे मिट्टी की ऊपरी सतह टूटती है और हवा तथा प्रकाश का संचार जड़ों तक होता है। जिससे पौधे स्वस्थ रहते हैं।
उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि 20 से 25 दिनों के अंतराल पर तीन निराइयाँ करनी चाहिए। यदि किसान निराई गुड़ाई नहीं कर पाए हैं तो फसल बुवाई के 1 माह बाद खेत में सुल्फोसल्फीरॉन 13 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ की दर से पहली सिंचाई के बाद प्रयोग करें। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि खरपतवार नासी का सही मात्रा, सही समय एवं उपयुक्त तकनीक द्वारा छिड़काव करें। जिससे किसानों को गेहूं की फसल से लाभ हो सके।