कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र, दलीप नगर के वैज्ञानिक डॉक्टर भानु प्रताप सिंह ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए बताया कि गेहूं की फसल में खरपतवार नियंत्रण नितांत आवश्यक है। डॉक्टर भानु प्रताप सिंह ने बताया कि गेहूं की फसल में खरपतवार कृषि की बहुत बड़ी समस्या है। खरपतवारों के कारण फसल को नुकसान होता है तथा उत्पादन पर भी असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि खरपतवारों के कारण फसल उत्पादन में 25 से 35% तक की कमी देखी गई है क्योंकि जो पोषक तत्व फसलों को दिए जाते हैं। वह पोषक तत्व खरपतवार ले लेते हैं। जिससे फसल कमजोर हो जाती है। इसलिए उन्होंने अपील की है कि खरपतवार नियंत्रण अवश्य अपनाएं।
डॉ. सिंह ने बताया कि गेहूं में मुख्यतः दो तरह के खरपतवारों की समस्या होती है जैसे सकरी पत्ती वाले खरपतवार मोथा, कांस, जंगली जई, गेहूसा (गेहूं का मामा) आदि तथा चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे बथुआ, सेंजी, कासनी, जंगली पालक, कृष्णनील, हिरनखुरी आदि। डॉक्टर सिंह ने बताया कि चौड़ी एवं सकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए दवा sulfosulfuron 5 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के 35 दिन के अंदर छिड़काव करें जब खेत में पर्याप्त नमी हो। जिससे किसानों को लाभ होगा। अथवा सकरी एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए मेट्रिब्यूज़ीन 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
उन्होंने बताया की कभी-कभी गेहूं की फसल में केवल सकरी पत्ती वाले ही खरपतवार होते हैं तो इसके लिए किसान isoprotueron 750 ग्राम प्रति हेक्टेयर बुवाई के 30 दिन के अंदर छिड़काव करें और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए 2,4-डी सोडियम साल्ट आधा किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के 35 के अंदर छिड़काव करें। डॉ. भानु प्रताप सिंह ने अपील किया है कि दवा छिड़कते समय सावधानी जरूर बरतें मुंह पर मास्क और हाथों में दस्ताना पहन कर छिड़काव करें तथा जब तेज हवा चल रही हो तब छिड़काव बिल्कुल न करें।