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चंद्रभेदी प्राणायाम से करें अपने रक्तचाप का नियंत्रण

कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा आयोजित किए जा रहे ‘योग पखवाड़ा’ के अंतर्गत ’रोग आधारित योग’ कार्यशालाएं नगर के अलग-अलग चारों क्षेत्रों में आयोजित हो रही है। इसी क्रम में तीसरी कार्यशाला शनिवार को गायत्री शक्तिपीठ शुक्लागंज उन्नाव में आयोजित हुई। कार्यशाला का उद्घाटन शक्तिपीठ के व्यवस्थापक आर0सी0 गुप्ता, डा0 राम किशोर, ओमकार मिश्र आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त प्रकट करते हुये सहायक आचार्य, योग डॉ0 रामकिशोर ने कहा कि बायीं नासिक से श्वास लेने पर परानुकम्पी तन्त्रिकातन्त्र और दायीं नासिका से श्वास लेने पर अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र सक्रिय होता है। चूकिं चन्द्रभेदी प्राणायाम में लगातार बायीं नासिका से ही श्वास को भरते है और दायीं नासिका से ही श्वास बाहर करते हैं। अतः इस प्राणायाम के दौरान परानुकम्पी तन्त्रिकातन्त्र सक्रिय होने लगता है, जिसके परिणाम स्वरुप उच्त रक्तचाप नियन्त्रित होता है।

कार्यशाला संयोजक डा0 राम किशोर ने बताया कि वर्तमान समय के आपाधापी और चुनौती पूर्ण जिंदगी में चिंता, तनाव अनिद्रा, रक्तचाप, अवसाद जैसी अनेकों समस्याओं से आम जनमानस पीड़ित है, जिसमें योग के अभ्यास बहुत ही उपयोगी हैं।

उच्च रक्तचाप के संदर्भ में उन्होंने कहा ऐसे रोगियों में अनुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र अधिक सक्रिय रहने लगता है, जिसको नियंत्रित करने के लिए चंद्रभेदी प्राणायाम बहुत ही प्रभावशाली है। इस प्राणायाम के अभ्यास में प्रत्येक बार बायीं नासिका से ही श्वास लेते है और प्रत्येक बार दायीं नासिका से ही श्वास को बाहर निकाला जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप पैरासिम्पैथिक नर्वस सिस्टम सक्रिय होता हैं और रक्तचाप में सुधार आता है।

थायराइड को संतुलित करने के लिए मुख्य रूप से सिंहासन और उज्जयी प्राणायाम का अभ्यास बताया गया। उन्होंने बताया वर्तमान समय में अधिकतर विद्यार्थी बिस्तर पर बैठकर पढ़ते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप उनका मेरूदण्ड आगे की ओर झुकने लगते हैं। ऐसे छात्रों को नियमित सूर्य नमस्कार, भुजंगासन, धनुरासन आदि पीछे की ओर झुकने वालों आसनों का अभ्यास अवश्य करना चाहिए।

इसके साथ-साथ अर्थराइटिस प्रबंधन हेतु संधि संचालन, फैटी लीवर के लिए उदर शक्ति विकासक क्रिया, उड्डियान बंध, गैस के लिए पवनमुक्तासन, कमर दर्द के लिए मकर और भुजंगासन आदि के अभ्यास कराए गए।

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के सीनियर योग छात्र ओमकार मिश्रा, आकृति त्रिपाठी, पीहू सिंह और छवि निरंजन आदि ने सहयोग प्रदान किया।

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