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चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने मनाया ‘गांधी पर्व’

  • कुलपति ने प्रदेश में प्रथम गौ आधारित प्राकृतिक खेती का किया शुभारंभ

कानपुर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 151वी जयंती के अवसर पर आज चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के तत्वाधान में विश्वविद्यालय परिसर में गांधी पर्व के आयोजन के साथ दलीप नगर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में प्रदेश में प्रथम गौ आधारित प्राकृतिक खेती का शुभारंभ किया। 

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय परिसर में गांधी पर्व का आयोजन

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्व० लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान बापू जी के प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम….. को भी गाया एवं सुना गया। तत्पश्चात कुलपति महोदय ने अपने व्याख्यान में बताया कि बापू ने अहिंसा के दम पर अंग्रेजों से देश को आजाद करा दिया था। इसलिए बापू आज भी लोगों के दिलों में बसते हैं कुलपति ने कहा कि बापू ने बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त कर बड़ा अफसर बनना उचित नहीं समझा।बल्कि अपना पूरा जीवन देश और समाज की सेवा में समर्पित कर दिया। इस दौरान कुलपति ने बताया कि गांधीजी के आंदोलनों में दांडी यात्रा, भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन एवं विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार प्रमुख थे। गांधी जयंती के अवसर पर अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ आरपी सिंह ने बताया कि आज का दिन पूरा विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाता है। उन्होंने बताया कि गांधी जयंती वर्ष 2020 की थीम स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण है इसलिए विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित छात्रावास की आस पास कुलपति द्वारा पर्यावरण के संरक्षण की दृष्टि से वृक्षारोपण एवं उनकी सुरक्षा की दृष्टि से ट्री गार्ड भी लगाए गए। तत्पश्चात विश्वविद्यालय परिसर को साफ सुथरा रखने के उद्देश्य स्वच्छता अभियान भी चलाया गया। 

कृषि विज्ञान केंद्र, दलीप नगर  में गौ आधारित प्राकृतिक खेती का शुभारंभ 

कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह ने दलीप नगर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र पर आज गांधी जयंती के अवसर पर प्रदेश में प्रथम गौ आधारित प्राकृतिक खेती का  शुभारंभ किया। कुलपति ने सर्वप्रथम विधि विधान से पूजा अर्चना कर गाय व बछिया को माला पहनाकर तिलक किया। इसके उपरांत कुलपति ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि प्राकृतिक खेती देसी गाय के गोबर एवं गोमूत्र पर आधारित है। एक देसी गाय के गोबर एवं गोमूत्र से एक किसान 30 एकड़ जमीन पर प्राकृतिक खेती कर सकता है। देसी प्रजाति के गोवंश के गोबर एवं मूत्र से जीवामृत, घन जीवामृत बनाया जाता है। इनका खेत में उपयोग करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि के साथ-साथ जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है जबकि जीवाअमृत का महीने में एक दो बार खेत में छिड़काव किया जाता है तथा बीजों को बुवाई के पूर्व उपचारित भी किया जाता है। कुलपति ने बताया कि इस विधि से खेती करने वाले किसान को बाजार से किसी प्रकार की खाद और कीटनाशक रसायन खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है।

उन्होंने बताया कि फसलों की सिंचाई के लिए पानी एवं बिजली भी मौजूदा खेती बाड़ी की तुलना में 10% ही खर्चा होती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अखिल भारतीय किसान समिति के सदस्य कृष्ण चौधरी ने बताया कि देश के 17 प्रदेशों के लगभग 20 लाख किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गाय से प्राप्त सप्ताह भर के गोबर एवं गोमूत्र से निर्मित घोल का खेत में छिड़काव खाद का काम करता है। इसके इस्तेमाल से एक ओर जहां गुणवत्ता युक्त उपज होती है, वहीं दूसरी ओर उत्पादन लागत लगभग शून्य रहती है। ग्राम झम्मन नवादा के एक प्रयोग धर्मी किसान संतोष कुमार बाजपेई ने अपने खेत में प्राकृतिक खेती कर उत्साहवर्धक सफलता हासिल की है। किसान बाजपेई ने कहा कि इससे पहले वे रासायनिक खेती करते थे लेकिन देसी गाय के गोबर एवं गोमूत्र आधारित प्राकृतिक खेती कहीं ज्यादा फायदेमंद साबित हो रही है। कार्यक्रम में सभी अतिथियों का स्वागत एवं धन्यवाद केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अशोक कुमार ने किया। इस अवसर पर निदेशक प्रसार डॉ धूम सिंह, निदेशक शोध डॉ एच जी प्रकाश,अपर निदेशक प्रसार डॉ अरविंद कुमार सिंह, विश्वविद्यालय अभियंता डॉ विजय यादव, निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डॉक्टर रामाशीष यादव, मीडिया प्रभारी डॉ खलील खान एवं सुरक्षा अधिकारी डॉक्टर ए के सिंह सहित वैज्ञानिक डॉ अरुण कुमार सिंह, डॉक्टर सीके राय, डॉ राजेश राय, डॉ अरविंद  कुमार यादव सहित अन्य वैज्ञानिक एवं सुदूर गांवों से आए किसानों ने सहभागिता की।

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