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निदेशक प्रसार/समन्वयक ने की कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यों की समीक्षा

कानपुर। चंद्र शेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के समन्वयक प्रसार निदेशालय डॉ. ए. के. सिंह ने मंगलवार को कृषि विज्ञान केंद्र, दलीप नगर की समीक्षा की। डॉ. सिंह ने वैज्ञानिक व कर्मचारियों से उनके संबंधित प्रदर्शन इकाइयों की प्रगति की जानकारी लेने के साथ ही उनको ज्यादा कारगर बनाने के टिप्स देते हुए कहा कि  सकल घरेलू उत्पाद के 18% के साथ, कृषि हमेशा भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे प्रमुख क्षेत्र रहा है। इसके अतिरिक्त, भारत गेहूं, चावल, दालें, मसालों और कई उत्पादों के दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में उभरा है, लेकिन, अधिकांश भारतीय किसान अभी भी मूल्यवान जानकारी और आवश्यक संसाधनों की अनुपलब्धता के कारण उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों से नहीं हैं। इसलिए वैज्ञानिक अपना सर्वोत्तम देते हुए प्रक्षेत्र में नई सक्रियता बढ़ाएं और कृषको को आमंत्रित कर अपनी संबंधित इकाई जरूर दिखाएं। जिससे प्रेरित होकर किसान भी इन तकनीकों को अपनाएंगे तो उनकी सामाजिक-आर्थिक विकास तो होगा ही देश भी आगे बढ़ेगा और वे किसान अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत होंगे। 

समीक्षा उपरांत डॉक्टर सिंह ने केंद्र की सभी प्रदर्शन इकाइयों के भ्रमण कर उनकी स्थिति की जानकारी लेते हुए केंद्र पर उपलब्ध  आदर्श पोषण वाटिका देखी और उसमें लगी एक्सोटिक सब्जियां व गोभी गाजर की अन्तः फसल क्यारी देख कर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करने के साथ ही प्रभारी वैज्ञानिक को बधाई दी। केंद्र पर उपलब्ध वर्मी कम्पोस्ट व बढ़ती हुई मौन इकाइयों को देखकर प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. राजेश राय की  प्रशंसा करते हुए और अच्छा कार्य करने हेतु प्रेरित भी किया। केंद्र की कुक्कुट पालन इकाई का भ्रमण करते हुए  प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. शशिकांत से कहा कि मुर्गी पालन का सबसे बड़ा एक फायदा यह भी है कि इसके लिए आपको अन्य व्यवसाय की तरह काफी ज्यादा राशि की नहीं पड़ती है। कम राशि की मदद से भी कृषक मुर्गी पालन की शुरुआत कर सकते हैं। 

केंद्र के बीज उत्पादन प्रक्षेत्र व जैव संवर्धित सब्जियों के बाग का भ्रमण कर के कहा कि इनका बेशक आर्थिक, व पोषण मूल्य तो है ही और सबसे महत्वपूर्ण है कि हरा भरा खेत देख कर मन को प्रसन्नता होती है। इसके लिए डॉ. अरुण सिंह व केंद्र के अध्यक्ष बधाई के पात्र हैं। केंद्र में जल्द ही औषधीय वटिका शुरू करने के लिए गृह वैज्ञानिक डॉ. मिथिलेश वर्मा की सराहना करते हुए उन्हें औषधीय वटिका की डिज़ाइन का सुझाव भी दिया। केंद्र पर व गांवों में मशरुम उत्पादन के लिए पौध रक्षा वैज्ञानिक डॉ अजय कुमार सिंह की तारीफ करते हुए कहा कि वर्तमान में कवकों का प्रयोग विभिन्न व्याधियों एवं रोगों के उपचार के लिए किया जा रहा है। इसमें फफूंद, जीवाणु एवं विषाणु अवरोधी गुण पाये जाते हैं। इसका निरंतर सेवन करनेसे यह ट्यूमर, मलेरिया, मिर्गी, कैंसर, मधुमेह रक्तस्राव आदि रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। इस महामारी के दौर में मशरूम की उपयोगिता और अधिक हो जाती है। 

वैज्ञानिकों को दिशा निर्देश देते हुए समन्वयक ने कहा कि केंद्र की आवागमन पंजिका एकदम सही से मेन्टेन करें। यह आपके कार्य की प्रगति का दर्पण है। इसके साथ ही केंद्र पर साफ सफाई व तकनीकी पार्क  शीघ्र शुरू करने हेतु निर्देश दिए। केंद्र पर नवागंतुक मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान को गौ आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी देते हुए डॉसिंह ने कहा कि भूमि की उर्वरा को बढ़ाने का यही एक मात्र तरीका है। भ्रमण के समय डॉ. एस. एन. सुनील पांडेय मौसम वैज्ञानिक, गृह वैज्ञानिक डॉक्टर निमिषा अवस्थी व केंद्र के डॉ राजेश कुमार द्विवेदी के साथ अन्य लोग उपस्थित रहे।

 

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