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प्रख्यात फिल्म निर्माता सत्यजीत रे की जन्म शताब्दी मनाई जाएगी, देश-विदेश में आयोजित होंगे समारोह

नई दिल्ली। प्रख्यात फिल्म निर्माता, लेखक, चित्रकार, ग्राफिक डिजाइनर एवं संगीतकार सत्यजीत रे को श्रद्धांजलि देने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय देश-विदेश में साल भर तक चलने वाला शताब्दी समारोह आयोजित करेगा।

सत्यजीत रे ने अपने करियर की शुरुआत विज्ञापन में की और अपनी पहली फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ के लिए प्रेरणा उस समय प्राप्त की। जब वे बिभूतिभूषण बंदोपाध्याय के उपन्यास के बाल संस्करण का चित्रण कर रहे थे। इस फिल्म ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई। रे ने इसके बाद चारुलता, आगंतुक और नायक जैसी अन्य बेहतरीन फिल्में बनाईं। वह एक रचनात्‍मक लेखक भी थे, जिन्‍होंने प्रसिद्ध जासूस फेलूदा और वैज्ञानिक प्रोफेसर शोंकू का किरदार प्रस्‍तुत किया जो बंगाली साहित्य का एक लोकप्रिय हिस्सा है। भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1992 में सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा।

समारोह के हिस्से के रूप में सूचना और प्रसारण मंत्रालय की मीडिया इकाइयां, फिल्म समारोह निदेशालय, फिल्म प्रभाग, एनएफडीसी, एनएफएआई, और सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एसआरएफटीआई), कोलकाता अनेक कार्यकलापों की एक श्रृंखला की योजना बना रहे हैं। विदेश मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय सहित अन्य मंत्रालय/विभाग भी इसमें सक्रिय भूमिका निभाएंगे।  हालांकि, महामारी की स्थिति के मद्देनजर ये समारोह पूरे वर्ष के दौरान हाइब्रिड मोड यानी डिजिटल और फिजिकल दोनों ही मोड में आयोजित किए जाएंगे।  

इस महान शख्सियत की विरासत को ध्‍यान में रखते हुए सिनेमा में उत्कृष्टता के लिए सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कारकी शुरुआत इस साल से की गई है। जिसे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में हर साल दिया जाएगा और इसकी शुरुआत इसी वर्ष से होगी। पुरस्कार में 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार, एक प्रमाण पत्र, शॉल, एक रजत मयूर पदक और एक स्क्रॉल शामिल हैं।

02 मई 1921 को जन्मे सत्यजित रे ने छह अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार दिलाने वाली फिल्म पाथेर पंचाली सहित छत्तीस फ़िल्मों का एक ख़ज़ाना हमें तोहफ़े में दिया है। अपराजितो (1956 ), पारस पत्थर (1958) ,जलसाघर (1958) ,अपूर संसार (1959) ,देवी (1960) ,महानगर (1963) ,चारुलता (1964) ,सोनार केला (1974) ,पीकू (1980) और गणशत्रु (1989) उनके इसी ख़ज़ाने के नायाब मोती हैं। हिंदी में शतरंज के खिलाड़ी 1977 और सदगति 1981 सत्यजीत रे की अनमोल कलाकृतियांं हैं। 

सत्यजीत रे को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित कार्यक्रम और कार्यकलापों की निगरानी के लिए सचिव, सूचना एवं प्रसारण की अध्यक्षता में एक कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया है। इस समिति में नामित सदस्य के रूप में वरिष्ठ फिल्म निर्माता धृतिमन चटर्जी और सूचना एवं प्रसारण, संस्कृति और विदेश मंत्रालयों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।  

साल भर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों और कार्यकलापों में फिल्म समारोह निदेशालय, फिल्म प्रभाग और विदेश मंत्रालय भारत में और विदेश स्थित भारतीय मिशनों के माध्यम से सत्यजीत रे फिल्म समारोहों का आयोजन करेंगे, जहां सत्यजीत रे की फिल्मों और उन पर बनी फिल्मों एवं वृत्तचित्रों को दिखाया जाएगा। इसके साथ ही 74वें कान फिल्म समारोह में उनकी फिल्मों पर विशेष पूर्वावलोकन पेश करने के साथ-साथ उन्हें दिखाने की योजना बनाई जा रही है। फिल्म समारोह निदेशालय भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई), 2021 में एक विशेष पूर्वावलोकन आयोजित करेगा। इस पूर्वावलोकन की शिरकत प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में होगी।

फिल्म प्रभाग अपनी पहल के तहत मुंबई स्थित भारतीय सिनेमा के राष्ट्रीय संग्रहालय में एक विशेष सत्यजीत रे अनुभाग बनाएगा। यह अनुभाग, जो पूरे वर्ष के दौरान देश के विभिन्न संग्रहालयों में भी शिरकत करेगा, के द्वारा सत्यजीत रे के जीवन के यादगार लम्हे फिजिकल एवं डिजिटल दोनों ही मोड में दर्शायेगा। इनमें उनकी फिल्मों, साक्षात्कार आदि के सर्वश्रेष्ठ शॉट्स भी शामिल होंगे।

भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार (एनएफएआई) रे की सभी उपलब्ध फिल्मों और प्रचार सामग्री का परावर्तन एवं डिजिटलीकरण करेगा। यह उनकी फिल्मों के पोस्टरों की एक आभासी प्रदर्शनी भी आयोजित करेगा।

एनएफडीसी अपने ओटोटी प्‍लेटफॉर्म पर एक फिल्म समारोह सिनेमाज ऑफ इंडिया’ का आयोजन करेगा जिसमें उनकी पांच फिल्में दिखाई जाएंगी।

सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एसआरएफटीआई), कोलकाता अपने परिसर में सत्यजीत रे की प्रतिमा का अनावरण करेगा। इस महान फिल्म निर्माता की विशिष्ट प्रतिभा को समझने के लिए इस संस्थान में उनके उत्‍कृष्‍ट कार्य कलापों पर एक पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। बच्चों के लिए रे के कार्यकलापों का एक पैकेज भी विकसित किया जा रहा है जिसे स्कूलों को दिया जा सकता है। रे की फिल्मों की थीम पर अंतर-कॉलेज प्रतियोगिताओं का आयोजन फिल्म स्कूलों के बीच कराया जाएगा।

इसी कड़ी में संस्कृति मंत्रालय सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करेगा और कला एवं साहित्य में सत्यजीत रे के व्यक्तित्व और कार्यकलापों के विभिन्न परिप्रेक्ष्य को प्रदर्शित करेगा।

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