नई दिल्ली। किशोरियों और महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमडब्ल्यूसीडी) ने संयुक्त रूप से नौ राज्यों के 27 आकांक्षी जिलों और विशेष क्षेत्रों में एक पायलट परियोजना के लिए एक अभिविन्यास (ओरिएंटेशन) सत्र आयोजित किया गया।
इस पहल का उद्देश्य कार्यबल में प्रवेश करने में महिलाओं के सामने आने वाली बाधाओं को दूर करना है। इस कार्यक्रम में सीडीपीओ के लिए क्षमता निर्माण सत्र भी शामिल थे, जो उन्हें इस वर्ष परियोजना के आधिकारिक लॉन्च के लिए तैयार कर रहे थे। कार्यक्रम को राष्ट्रव्यापी लागू किया जाना इस पायलट परियोजना की सफलता पर निर्भर होगा।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 4.0 के तहत लगभग 4000 लाभार्थियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह कार्यक्रम गैर-पारंपरिक और ऊंची मांग वाली नौकरियों को ध्यान में रखते हुए प्रशिक्षण पर केंद्रित है, जिसमें डिजिटल और सामान्य कौशल विकास पर विशेष जोर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, यह पहल परामर्श, करियर मार्गदर्शन, वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता और जॉब प्लेसमेंट सहायता सहित व्यापक समर्थन प्रदान करेगी। यह परियोजना ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़ने और पॉश/ पीओएसएच (यौन उत्पीड़न की रोकथाम) पर जागरूकता प्रदान करने में भी मदद करेगी। इसके अलावा, इससे हमारे औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में महिला नामांकन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय में सचिव अतुल कुमार तिवारी ने इस कार्यक्रम में कहा, “यह अभिविन्यास कार्यक्रम देश भर में किशोरियों और महिलाओं को सशक्त बनाने के हमारे मिशन में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्हें गैर-पारंपरिक और भारी मांग वाली नौकरियों में कौशल के बारे में सिखाकर, हम न केवल उन्हें कार्यबल के लिए तैयार कर रहे हैं, बल्कि हम उन्हें स्वतंत्र, आत्मनिर्भर जीवन जीने में भी सक्षम बना रहे हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ हमारा सहयोग यह सुनिश्चित करने की हमारी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि हर महिला को, चाहे वह कहीं से भी हो, भारत के विकास और समृद्धि में सार्थक योगदान देने का अवसर मिले।”
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव अनिल मलिक ने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया है कि हमें केवल महिलाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित करने से आगे बढ़कर महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की ओर बढ़ना चाहिए, जहां महिलाएं हमारे देश की प्रगति को आगे बढ़ाने में सबसे आगे हों। यह दृष्टिकोण हमारे भविष्य को परिभाषित करता है और इसे साकार करने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना होगा और अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्यबल में भाग लेने के लिए तैयार होना होगा।”
यह कार्यक्रम इस सिद्धांत पर आधारित है कि एक पारिश्रमिक वाली, औपचारिक अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी अधिक होनी चाहिए, जो वर्तमान में 37% के स्तर पर है। हमारा लक्ष्य इसे अन्य विकसित देशों के अनुरूप 60% तक बढ़ाना है। यह पहल उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें भारत भर में लाखों लड़कियों और महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने की क्षमता है।”
यह परियोजना कार्यबल भागीदारी में लैंगिक अंतर को पाटने और भारत के आर्थिक विकास में योगदान देने में महिलाओं की क्षमता को उजागर करने के लिए एक महत्वपूर्ण सरकारी पहल है। इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप के लिए स्थानीय व्यवसायों के साथ साझेदारी करके, यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को आवश्यक व्यावहारिक अनुभव प्रदान करेगा।
यह प्रशिक्षण प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 4.0 के तहत आयोजित किया जाएगा, और इसमें 27 आकांक्षी जिलों और 60 से अधिक प्रशिक्षण केंद्रों में मौजूदा पीएमकेके, जेएसएस केंद्रों और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों का उपयोग किया जाएगा, जिसमें प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से सभी महिला प्रशिक्षुओं को परिवहन सहायता के लिए प्रति माह रु 1,000 का विशेष प्रावधान होगा। इस पहल को कार्यबल भागीदारी में लैंगिक अंतर को मिटाने और भारत के आर्थिक विकास में योगदान देने में महिलाओं की अपार क्षमता को उजागर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
इसके अतिरिक्त, परियोजना के जीवन चक्र का प्रबंधन स्किल इंडिया डिजिटल हब (एसआईडीएच) के माध्यम से किया जाएगा – जहां कुछ प्रशिक्षण मॉड्यूल, पाठ्यक्रम खोज, वित्तीय और वित्तपोषण सेवाएं और मूल्यांकन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
कार्यक्रम गैर-पारंपरिक और उच्च-मांग वाली नौकरी भूमिकाओं में प्रशिक्षण प्रदान करेगा और परामर्श, कैरियर मार्गदर्शन और जॉब प्लेसमेंट सहायता सहित व्यापक सहायता प्रदान करते हुए डिजिटल कौशल और साधारण कौशलों के विकास पर जोर देगा। इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप के लिए स्थानीय व्यवसायों के साथ कई सहयोगों को भी रेखांकित किया गया, जिससे भविष्य के प्रतिभागियों के लिए व्यावहारिक प्रदर्शन सुनिश्चित हो सके।