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यूपिका और हैंडलूम निगम की संपत्तियां बेची जाएंगी, शासन ने दी हरी झंडी

कानपुर। सरकार द्वारा घाटे में चल रहे संस्थानों को बेचने के क्रम में उप्र इंडस्ट्रियल कोऑपरेटिव एसोसिएशन (यूपिका) और उप्र हैंडलूम निगम की संपत्तियों की बिक्री के प्रस्ताव पर जल्द ही मंत्री समूह की मंजूरी मिलने की उम्मीद है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद सर्वोदय नगर स्थित यूपिका का मुख्यालय भवन व कई अन्य शोरूम और हैंडलूम निगम की संपत्तियों को नीलाम किया जाएगा। इससे मिलने वाली धनराशि से कर्मचारियों और बैंकों के बकाये की अदायगी की जाएगी। शासन ने दोनों ही विभागों के प्रबंधन की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जून में फाइल भेजी जाएगी और स्वीकृति मिलते ही बेचने की प्रक्रिया शुरू होगी। पहला प्रस्ताव विकास प्राधिकरणों व सरकारी विभागों को दिया जाएगा और उसे सर्किल रेट पर ही भूमि दी जाएगी।

यूपिका और हैंडलूम निगम की स्थापना का उद्देश्य हथकरघा बुनकरों के उत्पादों को बिक्री कर उनको प्रोत्साहित करना था। मगर, 1977 में आई जनता धोती स्कीम में इतनी अधिक भर्तियां हुईं कि बाद में कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे ही नहीं रहे क्योंकि स्कीम बंद होने के बाद काम ही नहीं मिला और धीरे-धीरे ये विभाग घाटे में आते चले गए।

यूपिका ने 1988 में कोऑपरेटिव बैंक से 19 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था जो अब बढ़कर सौ करोड़ रुपये हो गया है। कर्मचारियों का भी करोड़ों रुपये बकाया है। यही वजह है कि अब सर्वोदय नगर मुख्यालय की करीब सात हजार वर्ग मीटर भूमि और कई अन्य शोरूम व प्रोडक्शन हाउस को नीलाम किया जाना है। इसी तरह हैंडलूम निगम पर भी बैंकों और कर्मचारियों का करोड़ों रुपये बकाया है। निगम से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक जून में कैबिनेट की मंजूरी मिलने की उम्मीद है। बिक्री से मिलने वाली राशि से कर्मचारियों और बैंकों का बकाया दिया जाएगा। जो राशि शेष बचेगी उससे विभाग को बढ़ाने के प्रयास होंगे।

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