नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ द्वारा आयोजित दो दिवसीय फिल्म महोत्सव के उद्घाटन के अवसर पर तिब्बत हाउस के निदेशक गेशे दोरजी दामदुल ने बोधि पथ फिल्म महोत्सव के उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में कहा कि दृश्य कला हमेशा से ही आम जनता के लिए शिक्षा और सूचना का माध्यम रही है। उन्होंने कहा, हालांकि, सिनेमा जनता की सोच के स्तर को भी दर्शाता है। तो समाज में मौजूदा सोच के अनुसार ही फिल्मों का निर्माण हो।
वेन गेशे दामदुल ने यह भी कहा कि भगवान बुद्ध के समय में शाक्यमुनि की शिक्षाओं को दर्शाने वाली और लोगों को शिक्षित करने वाली पेंटिंग्स बनायी गयी थीं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति की पांचों इंद्रियां संदेश को आत्मसात करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि दृश्य ‘निम्न स्तर’ के हैं, तो समाज उन्हें आत्मसात कर लेगा, और इसलिए, हम इन दिनों साइबर अपराध सहित बहुत सारे अपराधों को देखते हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह, संघर्ष, युद्ध, जलवायु संबंधी आपदा और अविश्वास को देखा जाने लगेगा।
पद्मश्री से सम्मानित अमेरिकी बौद्ध लेखक और शिक्षाविद प्रोफेसर रॉबर्ट एएफ थर्मन ने भी महोत्सव में अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने मंजुश्री पर लिखी जा रही अपनी नवीनतम पुस्तक के बारे में जानकारी साझा की। प्रोफेसर थर्मन ने बताया कि महायान बौद्ध धर्म में, मंजुश्री एक बोधिसत्व हैं जो गंभीर बुद्धिमत्ता और शिक्षा का प्रतिनिधित्व करते हैं।
हॉलीवुड की फिल्मों के विश्व प्रसिद्ध कलाकार और बौद्ध धर्म के अनुयायी रिचर्ड गेरे ने इस महोत्सव के लिए एक संदेश रिकॉर्ड किया। उन्होंने कहा कि बौद्ध फिल्म महोत्सव बुद्ध की शिक्षाओं के प्रसार का सबसे अच्छा तरीका है। उन्होंने यह भी कहा कि यह महोत्सव “एक रोमांचक क्षण है। यह बौद्ध धर्म के मार्ग पर चलने का एक शानदार अवसर है।” उन्होंने महोत्सव के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं।