कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित 14 कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में दुग्ध व्यवसाय से जुड़े व्यवसायी, पशुपालक, किसान एवं वैज्ञानिकों ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार समन्वयक डॉ.ए.के. सिंह ने बताया कि दुनियाभर में 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है। जिसका मकसद लोगों को दूध और दूध से बने पदार्थों के महत्व बताकर इसे आहार में शामिल करना होता है। इसके साथ ही डेयरी उत्पादन के क्षेत्र में स्थिरता, आजीविका को बढ़ाना भी है। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने साल 2001 में 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस के रूप में चुना था, इस दिन डेयरी क्षेत्र में स्थिरता, आर्थिक विकास, आजीविका और पोषण के बारे में लोगों को बताकर जागरूकता बढ़ाई जाती है, ताकि लोग दूध को अपने आहार में शामिल करें। साथ ही युवा इस क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा दे कर देश की आर्थिक गतिविधियों को बल दें। डॉ. सिंह ने कहा कि विश्व दुग्ध दिवस कार्यक्रम में एक विशिष्ट थीम का पालन नहीं किया जाता है। विभिन्न देश, सरकारें अपनी-अपनी थीम तय करती है। इस साल 2021 में विश्व दुग्ध दिवस की थीम, ‘पर्यावरण, पोषण एवं सामाजिक आर्थिक शशक्तिकरण के साथ टिकाऊ दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में संपोषणीयता’ (Sustainability in the Dairy Sector along with Empowering the Environment, Nutrition, and Socio- Economic) पर केंद्रित है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर.सिंह ने बताया कि दूध मानव पोषण की अधिकांश आवश्यकताओं को काफी हद तक पूर्ण कर सकते है। दूध एक ऐसा पदार्थ है जो शरीर की आवश्यकता के लिए प्रोटीन, कैल्सियम, फास्फोरस और राइबोफलेविन की अच्छी मात्रा प्रदान करता है, इसीलिए दूध को एक संतुलित आहार कहा जाता है। किसानों की आय दोगुना करने को पशुपालन उद्योग के प्रोत्साहन पर सरकार का भी फोकस है। पशुओं को खुरपका और मुंहपका जैसे रोगों से मुक्ति दिलाने के साथ 2025 तक दूध प्रसंस्करण क्षमता को दोगुना करने का लक्ष्य भारत सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है साथ ही सरकार वर्ष 2022 तक प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता को 500 ग्राम करना चाहती हैं। साथ ही दुग्ध उत्पादन 137.7 मिलियन टन से बढ़कर 165.4 मिलियन टन हो गया है। वर्ष 2014 से 2017 के बीच वृद्धि 20% से भी अधिक रही है। इसी तरह प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 2013-14 में 307 ग्राम से बढकर वर्ष 2016-17 में 355 ग्राम हो गई है, जो कि 15.6% की वृद्धि है।