हैदराबाद। आंध्र प्रदेश सरकार ने ऑनलाइन सिनेमा टिकट बेचने के लिए शुक्रवार को आदेश पारित किया गया। इसके मुताबिक राज्य सरकार एक वेबसाइट शुरू करने जा रही है। जिस पर राज्यभर के सिंगल और मल्टीप्लेक्स थिएटर्स के टिकट ऑनलाइन बेचे जाएंगे। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी का यह फैसला तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री के लिए काफी हैरानी भरा है। वहीं इस फैसले पर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। आदेश में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश सरकार सिनेमा टिकट बेचने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल तैयार करेगी। यह पोर्टल ऑनलाइन रेलवे रिजर्वेशन टिकटिंग सिस्टम की तर्ज पर काम करेगा। आंध्र प्रदेश स्टेट फिल्म, टीवी और थिएटर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन इसे चलाएगी। इसके वर्किंग मॉडल पर काम किया जा रहा है। अभी तक प्रदेश में फिल्म टिकट प्राइवेट प्लेयर्स के जरिए बेचे जाते थे। इसके अलावा कुछ ऑफलाइन काउंटर पर टिकटों की बिक्री होती थी। हालांकि यह सुविधा केवल विजयवाड़ा और विशाखापत्तनम समेत कुछ प्रमुख शहरों में ही उपलब्ध थी। राज्य के अन्य जिलों और ग्रामीण इलाकों में फिल्म शुरू होने से पहले केवल फिजिकल मोड में ही टिकट बेचे जाते थे।
प्रदेश सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री सालाना कमाई की तुलना में सरकार को जो टैक्स देती है वह बहुत कम है। यह काफी पुराना मसला है और अब इसका समाधान किया जा रहा है। इसके मुताबिक अब अगर फिल्म निर्माता 100 करोड़ की कमाई करता है तो उसे इसी के अनुसार टैक्स देना होगा।
इस बीच सरकार के इस कदम ने इंडस्ट्री के लोगों को चिंता में डाल दिया है। एक फिल्म निर्माता के मुताबिक सरकार ने कहा है कि वह रेलवे टिकट पोर्टल की तर्ज पर सिस्टम शुरू करेंगे। लेकिन कैसे पैसा पहले सरकार के पास आएगा, फिर वो हमारे पास कैसे पहुंचेगा, यह एक बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि कोई अपने पैसे के लिए सीधे सरकार के पास तो जा नहीं सकता? इसको स्पष्ट करना होगा। फिल्म निर्माता ने आगे कहा कि यह कोई समाज सेवा तो है नहीं, आखिर यह बिजनेस है। अनुमान के मुताबिक टॉलीवुड के नाम से जानी जाने वाली तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री कोरोना से पहले हर साल करीब 1000 करोड़ रुपए का बिजनेस करती थी।