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भारत ने मनाया 27वां वैश्विक ओजोन दिवस

नई दिल्ली। विश्व ओजोन दिवस हर साल 16 सितंबर को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संधि है, जो आज ही के दिन 1987 में लागू हुई थी। यह दिवस हर वर्ष ओजोन परत को हो रहे नुकसान के बारे में और इसे संरक्षित करने के लिए किए गए उपायों/ किये जा रहे उपायों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने लिए मनाया जाता है। भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) के अंतर्गत ओजोन प्रकोष्ठ, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर 1995 से विश्व ओजोन दिवस मना रहा है। विश्व ओजोन दिवस 2021 का विषय ‘मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल – हमें, हमारे भोजन और वैक्सीन को ठंडा रखना’ है।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने गुरुवार को कहा कि भारत ने कई प्रमुख ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों (ओडीएस) के उत्पादन और खपत को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया है और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के वित्तीय तंत्र से तकनीकी और वित्तीय सहायता प्राप्त कर अब तक मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के सभी दायित्वों को पूरा किया है। वह आज नई दिल्ली में 27वें वैश्विक ओजोन दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे। 

चौबे ने कहा, ओजोन परत को हानि पहुंचाने वाले पदार्थों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने में भारत की सफलता का एक कारण योजना और कार्यान्वयन दोनों स्तरों पर प्रमुख हितधारकों की भागीदारी है। उन्होंने कहा, उद्योग, अनुसंधान संस्थान, संबंधित मंत्रालय, उपभोक्ता आदि भारत में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के ओजोन परत को हानि पहुंचाने वाले पदार्थों को समाप्त करने के चरणबद्ध कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

इस अवसर पर राज्य मंत्री चौबे ने भवनों में विषयगत एरिया स्पेस कूलिंग के लिए इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (आईसीएपी) की सिफारिशों को लागू करने के लिए कार्य योजना जारी की। आईसीएपी में दी गई सिफारिशों पर ध्यान देने के बाद तथा संबंधित विभागों और मंत्रालयों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद कार्य योजना विकसित की गई है।

एमओईएफ और सीसी द्वारा विकसित की जाने वाली दुनिया में अपनी तरह की पहली इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (आईसीएपी), सभी क्षेत्रों में शीतलन आवश्यकता पर ध्यान देती है और उन कार्यों को सूचीबद्ध करती है जो पर्यावरण और सामाजिक, दोनों को सुरक्षित करने के लिए कार्यों में तालमेल के माध्यम से आर्थिक लाभ के लिए शीतलन की मांग को कम करने में मदद कर सकते हैं। आईसीएपी का उद्देश्य प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के उत्सर्जन को कम करना है।

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