कानपुर देहात। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित दलीप नगर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा जैव संवर्धित गांव अनूपपुर एवं रूदापुर के संविलियन पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में बच्चों को फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी दी गई। इस दौरान छात्रों व शिक्षकों ने फसल अवशेष नहीं जलाने की शपथ भी ली। इस अवसर पर केंद्र के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक कुमार ने छात्रों को बताया कि एक टन पुआल जलाने से 60 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड,199 किलोग्राम किलोग्राम राख, 2 किलोग्राम सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन होता है। जिससे वातावरण प्रदूषित होता है। साथ ही साथ मिट्टी में सूक्ष्म जीवों का विनाश हो जाता है और वैश्विक गर्मी पड़ती है इन सब के कारण मौसम में बदलाव होता है और असामयिक वर्षा या सुखा झेलना पड़ता है।
फसल अवशेष प्रबंधन के नोडल अधिकारी डॉ. खलील खान ने बताया कि पुआल जलाने से हानिकारक गैसों से मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है और उन्हें सांस लेने में समस्या होती है डॉक्टर खान ने बताया कि अगर एक ट्रक वालों को खेत में चढ़ा दिया जाए तो 20 से 30 किलोग्राम नाइट्रोजन 60 किलोग्राम पोटाश 5 से 7 किलोग्राम सल्फर मर्दा में मिल जाता है। जिससे मृदा में उर्वरा शक्ति बढ़ती है। इस अवसर पर डॉ. शशिकांत ने छात्र छात्राओं को बताया कि सड़ी हुई गोबर की खाद मृदा में मिलाने से पोषक तत्व पौधों को प्राप्त होते हैं इसलिए पराली नहीं जलाना चाहिए।
इस अवसर पर छात्र-छात्राओं के मध्य फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित निबंध लेखन, चित्रकला एवं वाद-विवाद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। इस अवसर पर स्कूल के सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।