कानपुर नगर। परंपरानुसार अनुराधा नक्षत्र में सोमवार को कानपुर के ऐतिहासिक गंगा मेला का आयोजन किया गया। हटिया के रज्जन बाबू पार्क में तिरंगा फहराने के बाद ऐतिहासिक रंगों का ठेला निकला। रंगो और गुलाल में सराबोर लोगों ने होली खेलते हुए जुलूस निकाला।
गंगा मेला का शुभारंभ पुलिस बैंड के बीच राष्ट्रगान की धुन के साथ शहीद क्रांतिकारियों के शिलालेख पर जिलाधिकारी विशाखजी, पुलिस कमिश्नर बीपी जोगदंड सहित जनप्रतिनिधियों ने पुष्प अर्पित कर किया। रंग के ठेले ने जनरलगंज बाजार, मनीराम बगिया, मेस्टन रोड, चौक सर्राफा, कोतवाली चौहारा से होते हुए छह से सात किमी की दूरी तय की।
बता दें कि गंगा मेला बीते 81 सालों से मनाया जा रहा है। इस साल 82वां गंगा मेला है, जिसका इतिहास देश की आजादी से भी पुराना है। देश को 1947 में आजादी मिली थी, लेकिन कानपुरवासियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ 1942 में ही मोर्चा खोल दिया था।
आज़ादी से जुड़े कानपुर की हटिया की होली का ऐतिहासिक महत्व है सन 1942 पर जब स्वतंत्रता आंदोलन चरम पर था, तब कानपुर के तत्कालीन कलेक्टर ने लोगो को होली खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके विरोध में कानपुर के कई युवकों ने होली खेली तो उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। इसके बाद कानपुर में आंदोलन तेज हुआ और रोज ही होली खेली जाने लगी। मजबूर होकर ब्रिटिश हुकूमत को पकड़े गए युवकों को जेल से छोड़ना पड़ा। जिस दिन उनकी रिहाई हुई, उस दिन अनुराधा नक्षत्र था, तभी से कानपुर में गंगा मेला की परंपरा पड़ी।