कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आई. एन. शुक्ला ने किसानों हेतु कद्दू (काशीफल) की वैज्ञानिक खेती विषयक एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया कि हमारे देश में कद्दू की खेती लगभग 217 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है और उत्पादन लगभग 2116 हजार मीट्रिक टन होता है। उन्होंने कहा की कुल सब्जी उत्पादन में कद्दू का महत्वपूर्ण योगदान है।
डॉ. शुक्ला ने बताया कि अन्य सब्जियों की तुलना में कद्दू में कम कैलोरी तथा पाचक होने के कारण संतुलित आहार में योगदान है। डॉक्टर शुक्ला ने बताया कि 100 ग्राम कद्दू में ऊर्जा 26 कैलोरी, वसा 0.1 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 7 ग्राम, रेशा 0.5 ग्राम,प्रोटीन 1 ग्राम, सोडियम 1 ग्राम,पोटेशियम 340 मिलीग्राम इसके अतिरिक्त पर्याप्त मात्रा में वीटा कैरोटीन, विटामिन एवं खनिज लवण पाए जाते हैं। उन्होंने बताया की कद्दू फसल की अच्छी वृद्धि एवं फल के लिए 18 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। उन्होंने किसानों को सलाह दी है की कद्दू फसल की बुआई के लिए मध्य फरवरी से मध्य मार्च का समय अति उत्तम होता है। तथा बीज दर 4 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है।
डॉक्टर शुक्ला ने कद्दू की उन्नतशील प्रजातियों के बारे में बताया कि आजाद कद्दू-1, पूसा विश्वास, अर्का चंदन, पूसा अलंकार, नरेंद्र उपकार, पूसा हाइब्रिड-1 उत्तम प्रजातियां हैं। उन्होंने खाद एवं उर्वरकों के बारे में सलाह दी कि किसान 15 से 20 टन सड़ी हुई गोबर की खाद बुवाई के पूर्व मिट्टी में मिला दे। बुवाई के समय 80 से 100 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 40 से 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है। डॉक्टर शुक्ला ने कहा कि किसान अच्छा फसल प्रबंधन करते हैं तो 350 से लेकर 400 कुंतल प्रति हेक्टेयर कद्दू की पैदावार मिलेगी। और किसानों की आय में वृद्धि होगी तथा वे आत्मनिर्भर बनेंगे।