कानपुर देहात। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर की गृह वैज्ञानिक डॉ. निमिषा अवस्थी ने बताया कि वर्ष 2023 को विश्व स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इसका प्रस्ताव भारत ने दिया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसका अनुमोदन किया था। भारत के इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 मार्च 2021 को अपनी स्वीकृति दी थी। इसका उद्देश्य विश्व स्तर पर मोटे अनाज के उत्पादन और खपत के प्रति जागरूकता पैदा करना है।
भारत में एशिया का लगभग 80 प्रतिशत और विश्व का 20 प्रतिशत मोटा अनाज पैदा होता है। इसी क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र, दलीप नगर, कानपुर देहात द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन ग्राम बैरी सवाई, विकास खण्ड मैथा में किया गया। कार्यक्रम में केंद्र की वैज्ञानिक डॉ. निमिषा अवस्थी ने बताया मोटे अनाजों में मिनरल, विटामिन, एंजाइम और इन सॉल्युबल फाइबर के साथ-साथ मैक्रो और माइक्रो जैसे पोषक तत्व भी भारी मात्रा में मौजूद होते हैं। इसके अलावा मोटे अनाजों में बीटा-कैरोटीन, नाइसिन, विटामिन-बी6, फोलिक एसिड, पोटेशियम, मैग्नीशियम, जस्ता जैसे खनिज लवण भी पाए जाते हैं।
मोटे अनाज खाने के फायदे के बारे में चर्चा करते हुए डॉ. अवस्थी ने कहा की इनके द्वारा हड्डियों की मजबूती मिलती है, कैल्शियम की कमी से बचाव होता है, पाचन दुरुस्त करने में मददगार, वजन को कंट्रोल रखने में सहायक हैं, एनीमिया का खतरा कम होता है, डायबिटीज रोगियों के लिए लाभकारी, शरीर को रखता है गर्म, दिल के लिए भी अच्छे होते हैं। गृह वैज्ञानिक डॉ. पुष्पा देवी ने कहा कि अनाज डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों को दूर करता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। आसानी से फैल रही संक्रामक बीमारियों की एक वजह संतुलित और पोषक आहार की कमी है, जो इम्यूनिटी को कमजोर बनाती है। मोटे अनाज से शरीर की इम्यूनिटी मजबूत होती है।आंखों की सेहत के लिए कैरोटीन अच्छा माना जाता है। 100 ग्राम बाजरे में 132 मिलीग्राम कैरोटीन पाया जाता है। हमारी थाली से जो मोटा अनाज गायब हो गया है, उसे थाली में दोबारा स्थान दें। कार्यक्रम में मैथा ब्लॉक की 20 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों अरुणा, सत्यवती, गीता, सरला, एवम कुशमा के साथ 20 महिलाओं ने प्रतिभाग किया।