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चारा अनुसंधान शिक्षण, शोध एवं प्रसार गतिविधियों को मिलेगी नई दिशा

  • चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर और भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान झांसी के बीच हुआ समझौता

कानपुर। चारा अनुसंधान शिक्षण, शोध एवं प्रसार गतिविधियों की सुदृढ़ीकरण हेतु आज चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान झांसी के साथ समझौता परिपत्र (एम ओ यू) पर हस्ताक्षर किए। कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह ने बताया कि पूर्व में भी भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान झांसी के सहयोग से गोल्डन जुबली फाेरेज गार्डन की स्थापना की जा चुकी है। जिसके अंतर्गत चारे की विकसित विभिन्न किस्मों एवं विकसित होने वाले जर्म प्लाज्म पर शोध कार्य संपादित किए जा रहे हैं। इस दिशा में पूर्व में भी चारा उत्पादन के संबंध में विभिन्न एडवाइजरी जारी की जा चुकी हैं। जो प्रदेश के पशु पालकों में काफी लोकप्रिय हुई हैं।

डॉ सिंह ने बताया कि अब समझौता परिपत्र (एमओयू) हो जाने से शिक्षा, शोध, प्रसार की गतिविधियों को नई दिशा मिल सकेगी तथा पशुपालकों को चारा उत्पादन के संबंध में नवीनतम तकनीकी दोनों संस्थान साझा करेंगे। जिससे विश्वविद्यालय कार्य क्षेत्र के पशुपालकों को लाभ मिलेगा।

विश्वविद्यालय के निदेशक शोध डॉक्टर एच जी  प्रकाश ने बताया कि विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं शोध कार्य हेतु भारतीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान झांसी में उपलब्ध शोध संस्थानों का उपयोग कर सकेंगे। जिससे थीसिस की गुणवत्ता में वृद्धि होगी और छात्र-छात्राएं चारा विज्ञान विषय में दक्षता हासिल करेंगे।

भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान झांसी के निदेशक डॉ विजय कुमार यादव ने बताया कि संस्थान की स्थापना सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण में चारा और पशुओं की उत्पादकता के गुणवत्ता की दृष्टिकोण से की गई है। डॉ यादव ने बताया कि संस्थान ने अब तक 40 से अधिक चारा फसलों का विकास किया है और अब चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के साथ चारा अनुवांशिकी संसाधन सुधार व उत्पादन पर दोनों संस्थान मिलकर कार्य करेंगे।

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