कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की प्रसार निदेशालय के उद्यान वैज्ञानिक डॉक्टर अनिल कुमार सिंह ने बताया कि टमाटर कि नवंबर माह में नर्सरी लगाई जाती है, जबकि माह जनवरी में रोपाई होती है। उन्होंने कहा इस समय किसान प्रत्येक 10 दिन बाद हल्की सिंचाई करते रहें। टमाटर के खेत में खरपतवार बिल्कुल नहीं होने दे। इन्हें समय-समय पर निकालते रहें। पुरानी फसल में यदि फल छेदक का संक्रमण हो जाए तो खराब फलों को तुरंत तोड़कर नष्ट कर दें। अधिक संक्रमण की स्थिति में 0.1% मैलाथियान या 0.1% थायोडान 15 दिन के अंतराल पर छिड़कें। इसी प्रकार से किसान मिर्च की रोपाई भी इसी माह में करते हैं। उन्होंने बताया कि सर्दियों में 10 से 17 दिन बाद हल्की सिंचाई करते रहें। जिससे फूल फल नहीं गिरते हैं वह फसल पाले से भी बच जाती है।
डॉ. सिंह ने बताया कि जनवरी माह में प्याज की रोपाई भी करते हैं। किसान उचित मात्रा में उर्वरक का प्रयोग करें तथा ध्यान रहे की रोपाई सायंकाल के समय करना उचित रहता है। रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। उन्होंने बताया की मूली और गाजर जनवरी से फरवरी तक किसान लगा सकते हैं। यह फसल 40 से 70 दिन में तैयार हो जाती है। इसके लिए जापानी व्हाइट मूली की प्रजाति अच्छी होती है। मूली गाजर को तैयार होने पर उखाड़ने से 2 से 3 दिन पहले हल्की सिंचाई करें। इन फसलों को उखाड़ने में देर न करें। क्योंकि देर से इनकी गुणवत्ता खराब हो जाती है तथा मूल्य भी कम मिलता है। इसी प्रकार से किसान राजमा की भी बुवाई कर सकते हैं। राजमा की बुवाई के लिए 120 से लेकर के 140 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि राजमा की उन्नत प्रजातियां जैसे अंबर, पीडीआर 14, मालवीय 15, मालवीय 137 उचित है। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि इन फसलों की रोपाई एवं बुवाई करके किसान भाई अधिक लाभ अर्जित कर सकते हैं।