दरभंगा। देश के पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमान ‘तेजस’ की यांत्रिक प्रणाली को डिजाइन करने वाली टीम के सदस्य भारतीय वैमानिकी वैज्ञानिक पद्मश्री मानस बिहारी वर्मा का हार्ट अटैक से निधन हो गया। सोमवार की देर रात दरभंगा के लहेरियासराय जेल रोड स्थित अपनी बहन के आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली। डीआरडीओ, बेंगलुरु में रक्षा वैज्ञानिक रहे डॉ. वर्मा पूर्व राष्ट्रपति कलाम के सहयोगी रहे थे। उन्होंने रक्षा अनुसंधान विकास संगठन में 35 वर्षों तक वैज्ञानिक के रूप में अपनी सेवा दी थी। पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक ए पी जे अब्दुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में 1986 में तेजस फाइटर जेट को डिजाइन करने की टीम बनी थी, इसमें मानस बिहारी वर्मा मैनेजमेंट प्रोग्राम डायरेक्टर थे।
पद्मश्री मानस बिहारी वर्मा का जन्म दरभंगा जिले के घनश्यामपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बाऊर में पिता आनंद किशोर लाल दास और माता यशोदा देवी के घर 29 जुलाई 1943 को हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मधुबनी जिले के मधेपुर स्थित जवाहर हाई स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने पटना साइंस कॉलेज, बिहार इंजीनियरिंग काॅलेज पटना एवं कोलकाता विश्वविद्यालय से उच्चतर शिक्षा ग्रहण की। डा. वर्मा की चार बहन और तीन भाई थे। उनकी बचपन की प्रवृत्तियों को देखकर माता-पिता उन्हें ऋषि कहने लगे थे। प्रख्यात मैथिली साहित्यकार ब्रजकिशोर वर्मा मणिपद्म के परिवार से होने के कारण उन्हें पढ़ाई-लिखाई का उचित माहौल मिला।
डा. वर्मा को दर्जनों पुरस्कार से नवाजा जा चुका था। उन्हें डीआरडीओ के ‘साइंटिस्ट ऑफ द इयर’ और ‘टेक्नोलॉजी लीडरशिप अवार्ड’ से क्रमशः पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने सम्मानित किया था। 2018 में उन्हें पद्मश्री सम्मान दिया गया। डा.वर्मा, रिटायरमेंट के बाद साल 2005 से अपने गांव बाऊर में रह रहे थे। वह अलग-अलग एनजीओ के जरिए बच्चों और शिक्षकों के बीच विज्ञान का प्रसार करने में लगे रहते थे।
उनका अंतिम संस्कार घनश्यामपुर प्रखंड के बाउर गांव में होगा। मधुबनी जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष ज्योति झा ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मिथिलांचल ने एक महान अंतरराष्ट्रीय हस्ती को खो दी है।