कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह के निर्देश के क्रम में गुरुवार को ज्वार वैज्ञानिक डॉ. हरिश्चन्द्र सिंह ने बताया कि ज्वार दाना चारे के अलावा एक औद्योगिक फसल भी है। ज्वार का औद्योगिक उपयोग अन्य मोटे अनाजों की तुलना में अधिक होता है। इसका उपयोग शराब उद्योग, ब्रेड उत्पादन उद्योग, गेहूं-ज्वार संयोजन में किया जाता है। व्यापारिक रूप से शिशु आहार बनाने वाले उद्योगों में ज्वार लोबिया बीज तथा ज्वार सोयाबीन के संयोजन का इस्तेमाल किया जाता है। डॉ. सिंह ने बताया कि इसमें 10.4 ग्रा. प्रोटीन, 66.2 ग्रा. कार्बोहाइड्रेट, 2.7 ग्रा. रेशा और अन्य सूक्ष्म तथा वृहत पोषक तत्व मौजूद होते हैं। विगत वर्ष उत्तर प्रदेश में ज्वार का क्षेत्रफल लगभग 1.47 लाख हेक्टेयर तथा औसत 12.47 कुन्तल/हेक्टेयर की दर से कुल उत्पादन लगभग 1.84 लाख मीट्रिक टन हुआ था।
कानपुर मंडल में इसकी खेती मुख्यतः कानपुर देहात (13455 हेक्टेयर), कानपुर नगर (12523 हेक्ट.) के अलावा औरैया (1188 हेक्टेयर), फर्रुखाबाद (947 हेक्टेयर) एवं कन्नौज में लगभग 750 हेक्टेयर में की जाती है। उत्पादकता भी कानपुर नगर की सर्वाधिक (लगभग 13.52 कुन्तल/ हेक्टेयर) है। औसतन अन्य अनाजों की तुलना में ज्यादा पौष्टिकता इन मोटे अनाजों के सेवन से हम अपना खुद का और परिवार का सुपोषण सुनिश्चित कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि मोटा अनाज जैसे चेना य़ा जेठी सांवां, ज्वार, बाजरा, मक्का, कोदो, मडुवा, सांवा, रागी, कुटकी, कंगनी आदि। ज्वार जाड़ों में पसंद किया जाने वाला अनाज है। इसमें बहुत कम वसा होती है और ये कार्बोहाइडे्रट का जबरदस्त भंडार है। इसमें आयरन और कैल्शियम का उपयोगी भंडार होता है। ज्वार पोषक तत्वों का खजाना है। इसमें नियासिन, राइबोफ्लैविविन और थियामीन जैसे विटामिनों के साथ-साथ मैग्नीशियम, लोहा, तांबा, कैल्शियम, फास्फोरस और पोटेशियम भी पाया जाता है। इसमें प्रोटीन और फाइबर भी बहुत अधिक मात्रा में होता है जो पेट दर्द, अतिरिक्त गैस, और दस्त से छुटकारा दिलाता है। इसके अलावा फाइबर की अधिक मात्रा शरीर में खतरनाक कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को हटाने में मदद करती है जिससे हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, धमनियों के सख्त होने को रोकने, दिल के दौरा और स्ट्रोक जैसी स्थितियों से बचने में मदद मिलती है। ज्वार फाइबर का एक अच्छा स्रोत है जो आपकी भूख को नियंत्रित करने में और लंबे समय तक भूख नहीं लगने में आपकी मदद करता है। ज्वार के चोकर में महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो कई अन्य प्रकार के भोजन में नहीं पाए जाते हैं।
ज्वार कम वर्षा वाले क्षेत्र में अनाज तथा चारा दोनों के लिए बोई जाती हैं। ज्वार जानवरों का पौष्टिक एवं महत्वपूर्ण चारा भी है। खरीफ की फसल होने के कारण ज्वार की फसल में बुवाई से लेकर गोदाम तक कीट एवं रोगों का आक्रमण अधिक होता है जिससे उत्पादन और गुणवत्ता भारी कमी होती है। प्रमुख कीट- बीमारियों का उचित समय पर प्रबंधन करके अधिक उपज ली जा सकती है |