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पत्तों का विकास एवं वृद्धि अधिक होने से तंबाकू की उपज एवं पत्तों की गुणवत्ता बढ़ जाती है: डॉ अरविंद कुमार श्रीवास्तव

कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के तंबाकू शोध केंद्र अरौल के प्रभारी अधिकारी डॉ अरविंद कुमार श्रीवास्तव ने तंबाकू उत्पादक किसानों को सलाह दी है कि तंबाकू फसल की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए तंबाकू के पौधों का शीर्ष तोड़ना एवं शाखाओं का नियंत्रण दोनों ही महत्वपूर्ण क्रियाएं हैं। उन्होंने बताया कि इन क्रियाओं के करने से तंबाकू के पत्तों का विकास एवं वृद्धि अधिक होने से तंबाकू की उपज एवं पत्तों की गुणवत्ता बढ़ जाती है। डॉक्टर श्रीवास्तव ने कहा कि तंबाकू के पौधों के शीर्ष तोड़ने की क्रिया पौधरोपण के 50 से 60 दिन के उपरांत 10 से 11 पत्तों की दशा पर करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि तंबाकू के पौधों में शाखाओं का नियंत्रण हाथों द्वारा तोड़ाई अथवा शाखा नियंत्रित रसायन जैसे डिकेनॉल अथवा रॉयलटेन  का 4 से 5% घोल को शाखाएं निकलने के स्थान पर छिड़काव करने से शाखाएं नियंत्रित हो जाती हैं। इससे तंबाकू में शाखा नियंत्रित रसायनों का प्रयोग करने की अपेक्षा हाथ द्वारा यह क्रिया करने से लगभग 35 से  45 श्रमिक प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। डॉक्टर श्रीवास्तव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में तंबाकू का क्षेत्रफल लगभग 24 हजार से 25 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में तंबाकू उगाई जाती है। उन्होंने कहा इसकी खेती कानपुर, कन्नौज, फर्रुखाबाद, एटा, बहराइच, गोंडा, गोरखपुर आदि जनपदों में की जाती है।

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