कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक द्वारा नव विकसित राई- सरसों की दो प्रजातियां आजाद महक (के एम आर( ई)15-2) एवं सरसों (तोरिया) की प्रजाति आजाद चेतना (टीकेएम 14-2) अब कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश के लगभग सभी राज्यों के लिए केंद्रीय सरकार द्वारा बीज अधिनियम 1966 (1966 क 54) की धारा 5 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्रीय बीज समिति ने परामर्श के उपरांत बीज एवं फसल उत्पादन की श्रेणी में शामिल किया है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, नई दिल्ली में 15 मई 2021 को आहूत हुई 68 वी बैठक में इन प्रजातियों को शामिल कर बीज एवं फसल उत्पादन हेतु पूरे देश के लिए संस्तुति कर दिया है। विश्वविद्यालय के आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. महक सिंह ने बताया कि राई की आजाद महक प्रजाति उच्च ताप सहिष्णु एवं अगेती बुवाई हेतु उत्तम है। उन्होंने बताया कि इसकी उत्पादन क्षमता 24 से 25 कुंतल प्रति हेक्टेयर है तथा बुवाई के 120 से 125 दिन बाद पक कर तैयार हो जाती है। साथ ही इस प्रजाति में तेल प्रतिशत 41.6 से 42.1% है।
डॉ. सिंह ने बताया कि यह प्रजाति अल्टरनरिया झुलसा एवं सफेद गेरुई रोग के प्रति प्रतिरोधी है। डॉ महक सिंह ने सरसों (तोरिया) की आजाद चेतना प्रजाति की विशेषताओं के बारे में बताया कि यह प्रजाति सहफसली फसलों के लिए उपयुक्त है तथा यह 90 से 95 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है।और इसका उत्पादन 12 से 14 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। साथ ही इस प्रजाति में 42.2 से 42.4% तेल पाया जाता है। इसके अतिरिक्त यह प्रजाति भी अल्टरनरिया झुलसा और गेरुई रोग के प्रति प्रतिरोधी है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर.सिंह ने बीज समिति की बैठक की कार्यबृत्ति आने पर विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ. महक सिंह एवं उनकी शोध टीम को बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। साथ ही कहा है कि देश में विश्वविद्यालय की नव विकसित राई-सरसों की प्रजातियां पीली क्रांति में अहम योगदान देंगी। कुलपति ने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से अपेक्षा की है कि वे शोध कार्यों में गति प्रदान कर फसलों की नई नई प्रजातियां विकसित करें।