कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, दलीप नगर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉक्टर अशोक कुमार ने केंद्र पर स्थित जैव संवर्धित पोषण वाटिका का अवलोकन करते हुए बताया कि सफेद मूली की अपेक्षा लाल मूली सेहत के लिए अधिक फायदेमंद है। उन्होंने बताया कि यह मूली मानव शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है उन्होंने कहा कि इसका स्वाद एवं गुणवत्ता बेहतर है। इसमें सल्फिरासोल, इंडोल-3 केमिकल भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए इसमें एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा भी ज्यादा है।साथ ही एक कैंसर सेल्स को मारती है। उन्होंने कहा कि लाल मूली को किसान सर्दी-गर्मी किसी भी मौसम में उगा सकते हैं। उन्होंने बताया कि इसके जड़ों की लंबाई 24 से 25 सेंटीमीटर मोटाई 3 से 4 सेंटीमीटर और औसतन वजन 140 से 150 ग्राम तक होता है।तथा यह मूली 45 से 46 दिनों में तैयार हो जाती है तथा पत्ते सहित इसकी औसत उपज 600 से 700 कुंतल प्रति हेक्टेयर होती है। उन्होंने बताया कि इसकी व्यवसायिक खेती कर किसान सामान्य मूली की अपेक्षा दो गुना फायदा ले सकते हैं।इसका प्रयोग सलाद, सब्जी, अचार के रूप में भी किया जाता है। उन्होंने बताया कि इसमें
पेलागोरनीडीन नामक तत्व पाया जाता है। जिसकी वजह से इसका रंग लाल होता है। इसमें विटामिन ए, सी व के प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। साथ ही यह हाइपरटेंशन और मधुमेह जैसी बीमारियों से भी बचाता है।
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