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सी एस ए विश्वविद्यालय ने पशु चिकित्सा दिवस पर जारी की एवाइजरी

कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह द्वारा जारी निर्देश के क्रम में शनिवार को विश्व पशु चिकित्सा दिवस के अवसर पर विश्व विद्यालय के पशुपालन एवं दुग्ध विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ वेद प्रकाश श्रीवास्तव ने पशुपालकों को एडवाइजरी जारी कर कहा है कि इस वर्ष 24 अप्रैल 2021 विश्व पशु चिकित्सा दिवस का विषय ‘कोविड-19 महामारी में पशु चिकित्सक की भूमिका’ है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में पशु चिकित्सा का बदलते परिदृश्य में विश्लेषण किया जा रहा है जिससे भविष्य में मानव, पशु एवं वातावरण को एक समग्र इकाई के रूप में देखते हुए नीतियों को तैयार किया जा सके व ऐसी आपदाओं की रोकथाम की जा सके।

डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि पशुओं में उचित पोषण व अच्छी देखभाल के साथ-साथ रोग एक गंभीर समस्या है पशुओं में इन रोगों के कारण पशुपालकों को आर्थिक क्षति होती है। डॉक्टर श्रीवास्तव ने पशुपालकों को आगाह करते हुए बताया कि पशुओं में खुर पका, मुंह पका रोग जिसे एफएमडी भी कहते हैं विषाणु द्वारा फैलता है संकर नस्ल के पशुओं में यह बीमारी अधिक होती है उन्होंने कहा कि इस रोग के कारण पशुओं में मृत्यु दर 3-5% होती है यह रोग भेड़, बकरी, गाय, भैंस में होती है। उन्होंने कहा बताया कि पशुओं में मुंह पका रोग के लक्षण में पशु मुंह से लार गिराता है तथा धीरे-धीरे छाले (फफोले) पड़ जाते हैं यह बीमारी लार के माध्यम से दूसरे पशुओं में भी फैल जाती है तथा वह लंगड़ा कर चलने लगते है साथ ही पशु कमजोर हो जाता है तथा खाना पानी छोड़ देता है इस रोग के उपचार के लिए फिटकरी का 2 % घोल बनाकर पशु के मुंह को धोना चाहिए तत्पश्चात बोरो वैक्सीन लगाना चाहिए पैरों मैं 1% तूतिया के घोल से धोना चाहिए। इस रोग की रोकथाम के लिए निकट के पशु चिकित्सा अधिकारी से संपर्क कर पशुओं में टीकाकरण अवश्य करा लेना चाहिए। इसके अतिरिक्त डॉक्टर श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि पशुओं में गला घोटू भी मुख्य बीमारी है।यह बीमारी जीवाणु द्वारा फैलती है यह बीमारी होने से पशु को 106 डिग्री फारेनहाइट बुखार हो जाता है तथा पशु की गर्दन सूज जाती है सांस लेते समय पशु घर्र- घर्र की आवाज करता है पशु को सांस लेने में तकलीफ होती है दम घुटने से पशु मर भी जाते हैं इसकी रोकथाम के लिए पशुपालक मई -जून के महीने में नजदीकी पशु चिकित्सालय में जाकर टीकाकरण पशुओं में अवश्य करवा लें। डॉक्टर वेद प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि आमतौर पर पशुओं में लंगरिया बुखार भी होता है यह रोग मिट्टी में पाए जाने वाले जीवाणु क्लासट्रेडीएम चौबियाई द्वारा होता है पशुओं के पुट्ठे की मांसपेशियां दबाने से अंदर गैस व द्रब्य की अनुभूत होती है इसकी भी रोकथाम के लिए पशुपालक भाई मई-जून के महीने में टीकाकरण अवश्य करा लें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दृष्टिगत पशु बाड़े की साफ-सफाई पशुओं के बांधने की जंजीरें (चैन) की साफ-सफाई तथा पशुओं की सफाई एवं स्वयं की साफ़- सफाई का अवश्य ध्यान रखें जिससे कोई संक्रमण न फैलने पाए।

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