कानपुर देहात। फलों की बाग लगाकर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, लेकिन बिना जानकारी के बाग लगाना उनके लिए घाटे का सौदा हो सकता है। इसलिए पूरी जानकारी लेकर वैज्ञानिक तरीके से उद्यान लगाना चाहिए। उद्यान की योजना इस प्रकार की होनी चाहिए कि हर फल वाले पेड़ को फैलने के लिए सही जगह मिल सके व फालतू जगह नहीं रहे और हर पेड़ तक सभी सुविधाएं आसानी से पहुंच सकें। फलों के उत्पादन के लिए सिंचाई का इंतजाम, मिट्टी व जलवायु वगैरह ठीक होने चाहिए। इसी के साथ किसान फल व शोभाकारी पौधों की नर्सरी को व्यवसाय की तरह अपना कर आय भी अर्जित कर सकते हैं। उक्त बातें ग्राम औरंगाबाद विकासखंड मैथा में फल एवं शोभाकारी पौधों की नर्सरी हेतु ग्रामीण जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ. अरुण कुमार सिंह ने कही। किसानों को फसल बीमा के लिए प्रेरित करते हुए डॉ. मिथिलेश वर्मा गृह वैज्ञानिक ने विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए बताया। डॉ. शशिकांत ने बताया की राज्य कृषि/ उद्यान विभाग द्वारा नर्सरी के लिए ऋण सुविधा उपलब्ध है और ऋण चुकाने में 20 प्रतिशत की छूट भी मिलती है। डॉ. अजय कुमार सिंह, पौध सुरक्षा वैज्ञानिक ने कहा की नर्सरी अगर लो- टनेल माध्यम से करते हैं तो पौधों को नुकसान करने वाली सफेद मक्खी से बचाव होता है। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए डॉ. खलील खान मृदा वैज्ञानिक ने कहा की नर्सरी हेतु दोमट व बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम रहती है। इसमें पौधों की बढ़वार तो अच्छी होती ही है, साथ ही पौधा स्वस्थ रहता है। अंत में डॉ. निमिषा अवस्थी ने कहा की नर्सरी का कार्य समूह बना कर भी कर सकते हैं। समूह में अगर महिलाएं नर्सरी व्यवसाय करती हैं तो नाबार्ड द्वारा प्रशिक्षण व आर्थिक सहायता मिलती है और सब्सिडी भी मिलती है।
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