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आईआईटी कानपुर : क्लास ऑफ 1965 के छात्रों ने ‘पायनियरिंग रिसर्च एंड इनोवेशन अवार्ड’ के लिए 2.5 करोड़ रुपये देने का संकल्प लिया

कानपुर। सौहार्द और बंधन की उल्लेखनीय भावना के साथ में, आईआईटी कानपुर का पायनियर बैच (क्लास ऑफ 1965) 6-9 मार्च के दरमियान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में अपना डायमंड जुबिली रीयूनियन मना रहा है, जिसमें अपने पुराने साथियों के साथ फिर से मिलकर पुरानी यादें ताजा की जा रही हैं, और संस्थान के साथ अपने स्थायी बंधन का जश्न मनाया जा रहा है। पायनियर बैच ने पुनर्मिलन के दौरान जुटाई गई 2.5 करोड़ रुपये की राशि को संस्थान में पायनियरिंग रिसर्च एंड इनोवेशन अवार्ड की स्थापना के लिए देने का संकल्प लिया है, जो अल्मा मेटर को ‘गिविंग बैक’ की उनकी भावना को निरंतरता प्रदान करता है। यह पुरस्कार आईआईटी कानपुर में मौलिकता और रचनात्मक प्रतिभा को बढ़ावा देने के संस्थान की स्थापना के दृष्टिकोण के अनुरूप अग्रणी अनुसंधान और नवाचार को मान्यता देता है। 

पायनियर बैच संस्थान के स्थापना वर्षों का साक्षी है और संस्थापक निदेशक डॉ. पी.के. केलकर द्वारा दिखाए गए लोकाचार और भावना से जुड़ा हुआ है। ‘पायनियरिंग रिसर्च एंड इनोवेशन अवार्ड’ के इस नए संस्करण में उन व्यक्तियों को सम्मानित किया जाएगा जिनके योगदान ने शिक्षा जगत, उद्योग और समाज को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। 

आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने कहा, आईआईटी कानपुर के पायनियर बैच, क्लास ऑफ 1965 ने विगत समय में संस्थान की  विभिन्न पहलों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और अभी भी अनवरत जारी है। ‘पायनियरिंग रिसर्च एंड इनोवेशन अवार्ड’ संस्थान की संस्थापक विरासत पर बनाया गया है और यह शोधकर्ताओं, विद्वानों और नवप्रवर्तकों की पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। संस्थान की ओर से, मैं क्लास ऑफ 1965 के प्रति हार्दिक आभार और कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ।

प्रो. अमेय करकरे, डीन ऑफ रिसोर्सेज एंड एलुमनाई, आईआईटी कानपुर ने कहा, क्लास ऑफ 1965 की डायमंड जुबली रीयूनियन वास्तव में एक विशेष मील का पत्थर है। उनमें से कई अपने जीवन के नौवें दशक में प्रवेश कर चुके हैं, इस पुनर्मिलन का एक स्थायी प्रभाव छोड़ने के अवसर के रूप में गहरा महत्व है। इस पुरस्कार की स्थापना करके, उन्होंने आईआईटी कानपुर के शोध पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने का विकल्प चुना है। उनकी उदारता और दूरदर्शिता पूर्व छात्रों की भागीदारी का एक प्रेरक उदाहरण है, और हम संस्थान में उनके अमूल्य योगदान के लिए वास्तव में आभारी हैं। यह पहल आईआईटी कानपुर को सहयोग देने की बैच की मजबूत दीर्घकालिक परंपरा पर आधारित है, जिसमें पिछले उल्लेखनीय योगदानों में पायनियर बैच कॉन्टिणूइंग एडुकेशन सेंटर (पीबीसीईसी) (सन 2000 में) की स्थापना और अपॉर्चुनिटी स्कूल (सन 2010 और 2015) के लिए दो एन्डोनमेंट्स शामिल हैं, जो परिसर के आसपास वंचित बच्चों की शिक्षा में सहयोग करते हैं। 

पूर्व छात्र बैच समन्वयक अभय भूषण ने कहा, आईआईटी कानपुर ने हमारे जीवन में एक निर्णायक भूमिका निभाई है, और यह पुरस्कार उस संस्थान को वापस देने का हमारा तरीका है जिसने हमें आकार दिया है। आईआईटी कानपुर और इसके पूर्व छात्र अपने पथप्रदर्शक अनुसंधान और नवाचार के लिए जाने जाते हैं। हमें उम्मीद है कि यह पुरस्कार नवाचार की उस विरासत में योगदान देगा और संकाय और छात्रों को स्थायी प्रभाव बनाने में सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा।

क्लास ऑफ 1965 का डायमंड जुबिली रीयूनियन एक नॉस्टैल्जिक अवसर है, जो संस्थान के भविष्य के लिए साझा दृष्टिकोण से प्रेरित है। ‘पायनियरिंग रिसर्च एंड इनोवेशन अवार्ड’ की स्थापना के साथ, आईआईटी कानपुर अपने अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना जारी रखेगा और संस्थान के लिए उनके इस अमूल्य योगदान और समर्पण के लिए बैच के प्रति अपना हार्दिक आभार व्यक्त करता है।

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