कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के आलू वैज्ञानिक डॉ. राजीव ने बताया कि वर्तमान मौसम में आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की आशंका बढ़ गई है। जिससे किसानों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में तापमान में गिरावट और वातावरण में अत्यधिक नमी व बदली की वजह से आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की संभावना बढ़ गई। इस बीमारी से आलू के पौधे की पत्तियां झुलस जाती है। ऐसा लगता है जैसे पत्तियां जल गई हैं। झुलसा रोग लगने से आलू का उत्पादन भी प्रभावित होने की आशंका है। इसलिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने आलू उत्पादक किसानों को जागरूक करना शुरू कर दिया है।
आलू वैज्ञानिक डॉ. राजीव ने बताया कि फफूंद की वजह से आलू के पौधों में अधिक नमी के कारण झुलसा रोग होता है। समय से इसकी रोकथाम न की गई तो पूरी फसल खेत में ही झुलस जाती है। उन्होंने आलू उत्पादक किसानों को सलाह दी है कि कॉपर हाइड्रोक्साइड 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से अथवा क्लोरोथालोनील 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से आलू फसल में छिड़काव कर दें। जिससे इस महामारी रूपी बीमारी से आलू फसल को बचाया जा सकता है।