कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ.अजय कुमार सिंह ने गेहूं फसल के प्रबंधन विषय पर कृषकों को एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया कि गेहूं की फसल में इस समय यानी बाली निकलने की अवस्था पर करनाल बंट रोग आ जाता है। इससे फसल की रक्षा करना आवश्यक है उन्हें सलाह दी है कि 0.1% (1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) प्रोपिकोनाजोल दवा के घोल का छिड़काव अवश्य कर दें। इसी दवा के छिड़काव को पुनः 15 दिन बाद दोहराएं। जिससे इस रोग से फसल बच जाएगी।
डॉ. सिंह ने किसानों को सलाह देते हुए बताया कि गेहूं फसल में गांठ बनते समय (बुवाई के 65 से 70 दिन बाद) तथा बालियां आने के समय (बुवाई के 90 दिन बाद) दूधिया अवस्था में सिंचाई अवश्य करें। उन्होंने कहा कि बलुई भूमियों में सिंचाई की कम आवश्यकता होती है। जबकि मटियार भूमियों में सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है। डॉ. सिंह ने कहा कि यदि किसान गेहूं फसल का सही ढंग से प्रबंधन करते हैं तो गेहूं फसल से अधिक लाभ प्राप्त होगा।
