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जिनके पास जमीन कम है, वे किसान उत्पादक समूह बनाकर उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं: केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला

कानपुर। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी जोन-3 के निदेशक डॉ अतर सिंह ने बताया कि देश भर में 10000 किसान उत्पादक संगठन के संबंध में समस्त कृषि विज्ञान केंद्रों एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद संस्थानों को जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के द्वारा आज ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि भारत में अधिकतर किसान लघु व मध्यम किसान हैं। जिनके पास जमीन कम है और उनकी उत्पादकता भी कम है। उन्हें मिलाकर किसान उत्पादक समूह बनाकर उनकी उत्पादकता को बढ़ाया जाएगा। किसान इकट्ठे होकर कार्य करेंगे, उन्हें कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से लाभ मिलेगा। किसानों की लागत में कमी आएगी एवं उत्पादकता भी बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि एपीओ को लाने से किसानों को बाजार के साथ जोड़ने में मदद मिलेगी। किसानों को अपने उत्पाद का अधिक मूल्य मिल सकेगा। एपीओ के माध्यम से कृषि सस्टेनेबल बन जाएगी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की किसानों के बीच काफी पहुंच है कृषि विज्ञान केंद्रों का एफपीओ में सबसे महत्वपूर्ण रोल है। क्योंकि क्षेत्र में विशेष की परिस्थितियों की जानकारी कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों को सबसे बेहतर होती है। क्षेत्र विशिष्ट एफ़पीओ के साथ विषय आधारित एफपीओ भी बना सकते हैं।

इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि देश में अगले 5 वर्षों में 10000 एफपीओ बन के तैयार हो जाएंगे। इनको सफलतापूर्वक बनाने के साथ सफलतापूर्वक चलाना भी महत्वपूर्ण है। जो एफपीओ अभी सफलतापूर्वक चल रहे हैं उनसे बात करने पर प्रतीत होता है कि उन्हें और तकनीकी प्रदान करने की आवश्यकता है। उनकी उत्पादकता को और गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। एक एफ़पीओ किसान को बाजार से जोड़ने की एक अच्छी व्यवस्था है। हमारे कृषि विज्ञान केंद्र प्रयासरत है कि किस प्रकार किसान की आमदनी और उत्पाद बढ़े। 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डॉ. ए. के. सिंह ने कहा कि 50 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्रों को चिन्हित किया गया है। देश के छोटे स्तर के किसानों को मजबूत प्रदान करने के लिए छोटे उत्पादकों को मिलाकर बड़ा उत्पाद बनाने के लिए एफ़पीओ का गठन हुआ है । इस कार्यशाला में समस्त निदेशक अटारी, एनसीडीसी के एमडी संदीप नायक, वरिष्ठ सलाहकार, कृषि विज्ञान केंद्रों के अध्यक्ष एवं वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान  संस्थानों के वैज्ञानिक  ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया।

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