नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम के लॉन्च किए जाने के 6 वर्ष पूरे होने पर गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डिजिटल इंडिया के लाभार्थियों से बातचीत की। इस अवसर पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद और शिक्षा राज्य मंत्री संजय शामराव धोत्रे भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने कहा, डिजिटल इंडिया भारत का संकल्प है, आत्मनिर्भर भारत के लिए साधन है। डिजिटल इंडिया एक मजबूत भारतीय की अभिव्यक्ति है जो 21वीं सदी में उभर रही है। उन्होंने उदाहरण दिया कि किस तरह डिजिलॉकर ने विशेष रूप से महामारी के दौरान लाखों लोगों की मदद की। गांवों में ई-कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) लोगों की मदद कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि डिजिटल इंडिया ने लाभार्थियों के जीवन को कैसे बदल दिया है। उन्होंने स्वनिधि योजना के लाभों तथा स्वामित्व योजना के माध्यम से मालिकाना हक की सुरक्षा की कमी की समस्या के समाधान का उल्लेख किया। उन्होंने दूरस्थ चिकित्सा के संबंध में ई-संजीवनी योजना की भी चर्चा की और बताया कि राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत एक प्रभावी प्लेटफॉर्म के लिए काम जारी है। विश्व के सबसे बड़े डिजिटल कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप में से एक आरोग्य सेतु ने कोरोना संक्रमण को रोकने में काफी मदद की है। कई देशों ने टीकाकरण के लिए भारत के कोविन ऐप में भी दिलचस्पी दिखाई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल इंडिया के कारण पिछले 6-7 वर्षों में विभिन्न योजनाओं के तहत लाभार्थियों के बैंक खातों में करीब 17 लाख करोड़ रुपये अंतरित किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि 5जी तकनीक विश्व में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी और भारत उसके लिए तैयारी कर रहा है। प्रधानमंत्री का मानना था कि डिजिटल सशक्तिकरण के कारण युवा आपको नई ऊंचाइयों पर ले जाते रहेंगे। इस दशक को ‘भारत के टेकेड’ के रूप में बनाने में मदद करेंगे।
प्रधानमंत्री के साथ बातचीत के दौरान उत्तर प्रदेश के बलरामपुर की छात्रा सुहानी साहू ने दीक्षा ऐप के साथ अपने अनुभवों को साझा किया और बताया कि लॉकडाउन के दौरान यह उनकी शिक्षा के लिए कैसे उपयोगी रहा। महाराष्ट्र के हिंगोली के प्रहलाद बोरघ़ड ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि कैसे उन्हें ई-नैम ऐप के माध्यम से बेहतर कीमत मिली और परिवहन पर लागत बचाई गई। बिहार के पूर्वी चंपारण में नेपाल सीमा से सटे एक गांव के शुभम कुमार ने प्रधानमंत्री के साथ अपने अनुभव साझा किया कि कैसे वह अपनी दादी को लखनऊ जाने की जरूरत के बिना ई-संजीवनी ऐप के माध्यम से डॉक्टर से परामर्श करने में मदद सक्षम हुए। ई-संजीवनी ऐप के माध्यम से परिवार को परामर्श देने वाले लखनऊ के डॉ. भूपेन्द्र सिंह ने अपने अनुभव को साझा किया कि किस तरह ऐप के माध्यम से परामर्श प्रदान करना आसान है।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी की अनुपमा दुबे ने महिला ई-हाट के माध्यम से पारंपरिक सिल्क साड़ियों को बेचने के बारे में और उत्तराखंड के देहरादून में रहने वाले प्रवासी हरि राम एक राष्ट्र एक राशन के माध्यम से आसानी से राशन प्राप्त करने के अपने अनुभवों को साझा करने को लेकर उत्साहित थे। हिमाचल प्रदेश के धर्मपुर से मेहर दत्त शर्मा ने अपने अनुभवों को साझा किया कि कैसे कॉमन सर्विस सेंटर्स में ई-स्टोर्स ने उन्हें आसपास के कस्बों की यात्रा किए बिना अपने दूरदराज के गांव से उत्पाद खरीदने में मदद की। मध्य प्रदेश के उज्जैन की स्ट्रीट वेंडर नजमीन शाह ने बताया कि कैसे पीएम स्वनिधि योजना ने महामारी के बाद आर्थिक रूप से स्थिर होने में उनकी मदद की। मेघालय की केपीओ कर्मचारी वांडामाफी सिमलिएह ने कहा कि वह इंडिया बीपीओ योजना के लिए बहुत आभारी हैं क्योंकि वह कोविड-19 महामारी के दौरान बहुत सुरक्षित माहौल में काम करने में सक्षम थीं।