दिनेश ‘दीप’
भावना से ओत प्रोत भाव रखें नारियां
घर या उद्योग हो प्रभाव रखें नारियां
बेदना के दिनों में भी फूल झरे नारियां
मुस्कराती पांखुरी सी कंटको के बीच भी
ममता भरी छांव दे के ,प्यार से हैं सींचती
खून मे भी खुशबुओं का ताव रखें नारियां
टूटता बिखरता जो, इनसे संवरता वो
देता है मान जो भी खुद ही निखरता वो
स्वभाव मे भी कुछ न दुराव रखें नारियां
कोई भी समाज राज रखतीं है धाक आज
दोनों कुल तारतीं हैं रखतीं हैं लोक लाज
ज्ञान और विज्ञान में लगाव रखें नारियां