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प्रधानमंत्री ने कोसी रेल महासेतु राष्ट्र को समर्पित किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐतिहासिक कोसी रेल महासेतु को राष्ट्र को समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से यात्रियों के लाभ के लिए बिहार में नई रेल लाइनों और विद्युतीकरण परियोजनाओं का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि बिहार में रेल सम्पर्क के क्षेत्र में एक नया इतिहास बना है। उन्होंने कहा कि 3000 करोड़ रुपये के कोसी महासेतु और किऊल पुल के उद्घाटनविद्युतीकरण परियोजनाओंरेलवे में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने और नई नौकरी सृजन परियोजनाओं की एक दर्जन से अधिक परियोजनाएं आज शुरू की गई हैं। ये परियोजनाएं न केवल बिहार के रेल नेटवर्क को मजबूत करेंगी बल्कि पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत के रेल संपर्क को भी मजबूत करेंगी।

प्रधानमंत्री ने बिहार के लोगों को नई और आधुनिक सुविधाओं के लिए बधाई दीजिससे बिहार सहित पूर्वी भारत के रेल यात्रियों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि बिहार के कई हिस्से एक-दूसरे से कटे हुए हैंक्योंकि कई नदियों के राज्य से बाहर होने के कारण लोगों को लंबी यात्राएं करनी पड़ती हैं। उन्होंने कहा कि चार साल पहलेइस समस्या को हल करने के लिए पटना और मुंगेर में दो महासेतु का निर्माण शुरू किया गया था। अब इन दो रेल पुलों के चालू होने के कारणउत्तर और दक्षिण बिहार के बीच की यात्रा आसान हो गई है और इससे विशेष रूप से उत्तर बिहार में विकास की नई गति शुरू हुई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक गंभीर भूकंप आयाजिसने साढ़े आठ दशक पहले मिथिला और कोसी क्षेत्र को अलग-थलग कर दिया था और यह एक संयोग है कि दोनों क्षेत्रों को कोरोना जैसी महामारी के बीच में आपस में जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों की मेहनत के कारण आज सुपौल-आसनपुर-कुपहा रेल मार्ग राष्ट्र को समर्पित किया जा रहा है क्योंकि इस पुल के निर्माण में प्रवासी मज़दूरों का कठिन परिश्रम भी शामिल है। उन्होंने कहा कि मिथिला और कोसी क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए इस नई कोसी रेल लाइन की परिकल्पना 2003 में की गई थी जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री और श्री नीतीश कुमार रेल मंत्री थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने इस परियोजना पर तेजी के साथ काम किया और आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए सुपौल-आसनपुर कूपा मार्ग पर काम पूरा किया गया है।

प्रधानमंत्री ने आज कहा कि कोसी महासेतु के माध्यम से सुपौल-आसनपुर के बीच शुरू होने वाली एक नई रेल सेवा से सुपौलअररिया और सहरसा जिले के लोगों को बहुत फायदा होगा। इससे पूर्वोत्तर के लोगों के लिए एक वैकल्पिक रेल मार्ग भी बन जाएगा। उन्होंने कहा कि इस महासेतु के साथ 300 किलो मीटर की यात्रा केवल 22 किलोमीटर रह गई है। इससे पूरे क्षेत्र में व्यापार और रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इससे बिहार के लोगों का समय और पैसा दोनों बचेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोसी महासेतु की तरहकिऊल नदी पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सुविधा के साथ एक नये रेल मार्ग के कारण पूरे रेल मार्ग पर 125 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से रेलगाड़ियां चलने में सक्षम होंगी। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग से हावड़ा-दिल्ली मुख्य लाइन पर रेलगाड़ियों की आवाजाही आसान हो जाएगी और अनावश्यक देरी से राहत मिलेगी तथा यात्रा सुरक्षित होगी।

प्रधानमंत्री ने कहापिछले 6 वर्षों सेएक नए भारत की आकांक्षाओं के अनुसार भारतीय रेलवे को आकार देने और आत्मनिर्भर भारत की उम्मीदों को पूरा करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज भारतीय रेलवे पहले से कहीं ज्यादा स्वच्छ है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे को ब्रॉड गेज रेल लाइनों से मानव रहित रेल क्रॉसिंग को समाप्त कर पहले से कहीं अधिक सुरक्षित बनाया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे की गति बढ़ी है। वंदे भारत जैसी मेड इन इंडिया रेलगाड़ियां आत्मनिर्भरता और आधुनिकता का प्रतीक हैं और रेल नेटवर्क का हिस्सा बन रही हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि रेलवे में आधुनिकीकरण के प्रयासों के कारण बिहार को काफी लाभ हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों मेंमेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिएमधेपुरा में इलेक्ट्रिक इंजन कारखाना और मढ़ौरा में डीजल इंजन कारखाने की स्थापना की गई है। इन दोनों परियोजनाओं मेंलगभग 44000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों को गर्व होगा कि भारत में सबसे शक्तिशाली  12000 हॉर्स पावर के इलेक्ट्रिक इंजन का निर्माण बिहार के इंजन कारखाने में निर्मित है। बिहार के पहले लोको शेड ने भी काम करना शुरू कर दिया है जो इलेक्ट्रिक इंजनों की देख-रेख करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय बिहार में लगभग 90 प्रतिशत रेल नेटवर्क का विद्युतीकरण पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि बिहार में पिछले 6 वर्षों में, 3000 किलोमीटर से अधिक रेलवे लाइन का विद्युतीकरण किया गया है। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले 5 वर्षों में बिहार में केवल 325 किलोमीटर नई रेल लाइनें बिछाई गई थींजबकि 2014 के बाद 5 वर्षों में बिहार में लगभग 700 किलोमीटर नई रेल लाइनें शुरू की गई जो पहले निर्मित रेल लाइनों से लगभग दोगुनी हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में 1000 किलोमीटर और नई रेल लाइन निर्माणाधीन है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हाजीपुर-घोसवार-वैशाली रेल लाइन शुरू होने से दिल्ली और पटना सीधी रेल सेवा से जुड़ जायेंगे। इस सेवा से वैशाली में पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा और नई नौकरियों का सृजन होगा। उन्होंने कहा कि समर्पित मालगाड़ी गलियारे का काम तेज गति से चल रहा है और इस गलियारे का लगभग 250 किलोमीटर हिस्सा बिहार में पड़ेगा। इस परियोजना के पूरा होने के बादयात्री रेलगाड़ियों में देरी की समस्या कम हो जाएगी और माल की आवाजाही में देरी भी बहुत कम हो जाएगी।

प्रधानमंत्री ने कोरोना संकट के दौरान अथक परिश्रम के लिए रेलवे की सराहना की। उन्होंने कहा कि रेलवे ने प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने और उन्हें श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियों से वापस उनके गृह राज्यों में पहुंचाने में प्रमुख भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि कोरोना अवधि के दौरान बिहार और महाराष्ट्र के बीच देश की पहली किसान रेल शुरू की गई थी।

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