कथकली नर्तक गुरु चेमांचेरी कुन्हीरमण नायर का सोमवार सुबह कोइलांडी के चेलिया में उनके आवास पर निधन हो गया। वह 105 वर्ष के थे। नायर को कथकली नृत्य विधा में उनके अतुलनीय योगदान के लिए 2017 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, कथकली उस्ताद गुरु चेमांचेरि कुन्हीरमण नायर के निधन से दुःख हुआ। भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति उनका जुनून प्रसिद्ध था। उन्होंने हमारे शास्त्रीय नृत्यों में प्रतिभा को संवारने का असाधारण प्रयास किया। मेरी संवेदना उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ है। ओम शान्ति।
जून, 1916 को जन्मे नायर ने 1930 में अपनी पहली प्रस्तुति दी थी, जिसके बाद उन्होंने कई दशकों तक कथकली नृत्य को जिया और लगातार प्रस्तुतियां देकर नाम कमाया। नायर ने गुरु करुणाकरण मेनन की कथकली नृत्य मंडली में शामिल होने के लिए 14 साल की आयु में घर छोड़ दिया था। नायर के लिए आयु कभी कथकली करने में बाधक नहीं बनी और उन्होंने करीब नौ दशक तक नृत्य किया। उन्हें कथकली की ‘कल्लाडिकोडन’ शैली में महारथ हासिल थी। 85 सालों से भी ज्यादा समय तक उन्होंने नृत्य प्रस्तुतियां दीं। जब भी भगवान कृष्ण और कुलेचा का मंच पर चित्रण किया करते थे, तो दर्शक उनकी बेहतरीन प्रस्तुती देखकर सभी मंत्रमुग्ध हो जाया करते थे। उन्होंने 100 साल की आयु में आखिरी बार सार्वजानिक प्रस्तुती दी थी। जिसकी खूब चर्चा भी हुई थी।
नायर को कथकली नृत्य विधा में उनके अतुलनीय योगदान के लिए 2017 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनको केरल संगीत नाट्य अकादमी और केरल कलामंडलम समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका था। उन्होंने कई नृत्य स्कूलों की भी शुरुआत केरल में की है।