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किसानों को किया जागरूक, दी ग्रीष्मकालीन जुताई की जानकारी

कानपुर देहात। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर द्वारा ग्राम पांडेय निवादा में एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने कृषकों को बताया कि जहां तक हो सके गर्मी की जुताई रबी की फसल कटने के तुरंत बाद कर देनी चाहिए। जिससे खेत की मिट्टी में नमी संरक्षित रहे तथा मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की बढ़ोतरी भी होती है। डॉक्टर खान ने बताया कि सूर्य के प्रकाश की सहायता से मिट्टी में विद्यमान खनिज अधिक सुगमता से पौधों को उपलब्ध हो जाते हैं। साथ ही ग्रीष्मकालीन जुताई  कीट एवं रोग नियंत्रण में सहायक है। क्योंकि कीटों के अंडे व रोगों के रोगकारक तेज धूप से नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि कान्स, मेंथा आदि खरपतवारों के बीज व जड़ भी नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने किसानों से कहा कि अनुसंधान उसे सिद्ध हो चुका है कि ग्रीष्मकालीन जुताई करने से 31.3% बरसात का पानी खेत में समा जाता है। 

केंद्र के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार ने किसानों को बताया कि ग्रीष्मकालीन जुताई हर दो-तीन वर्ष में एक बार अवश्य करना चाहिए,जुताई के बाद खेत के चारों ओर मेड बना दें। जिससे वायु,जल द्वारा मृदा का क्षरण नहीं होता है। उन्होंने सलाह दी है कि ग्रीष्मकालीन गर्मी की गहरी जुताई करेंगे तो निश्चित तौर पर खरीफ की फसल की पैदावार बढ़ेगी। 

केंद्र के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. शशिकांत ने किसानों को बताया कि खेत की मिट्टी के कणो की संरचना व बनावट दानेदार हो जाती है।  इस अवसर पर किसानों के प्रश्नों के उत्तर वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रगतिशील किसान रामबाबू वर्मा ने की।इस अवसर पर प्रगतिशील किसान नरेश कुमार, सुरेंद्र कुमार, लक्ष्मण, अखिलेश बाजपेई सहित 50 से अधिक महिला/पुरुष किसानों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।

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