कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह द्वारा जारी वैज्ञानिकों को निर्देश के क्रम में शुक्रवार वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. रामप्रकाश ने बेल के लाभकारी गुणों के बारे जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि बेल कई रोगों की रोकथाम करता है जैसे कफ, बात विकार, बदहजमी, दस्त, मूत्र रोग, पेचिश, डायबिटीज, ल्यूकोरिया इसके अतिरिक्त पेट दर्द, हृदय विकार, पीलिया, बुखार, आंखों के रोग आदि में बेल के सेवन से लाभ मिलता है। बेल एक प्रचुर मात्रा में औषधीय गुणों से भरपूर फल है। आयुर्वेद में औषधीय दृष्टि से बेल के प्रत्येक भाग, बीज, तना, पत्ती और जड़ों का महत्व है। कच्चे फलों को सुखाकर बनाया गया चूर्ण अजीर्ण और आमातिसार को रोकता है। इसके सेवन से पेट साफ रहता है। तने की छाल का रस ज्वरनाशक होता है। पका फल खाने में स्वादिष्ट होता है। फल के गूदे से शरबत तैयार किया जाता है जो गर्मियों में लाभदायक होता है। कच्चे फल का मुरब्बा बनाया जाता है जो बहुत स्वादिष्ट होता है। बेल में प्रोटीन, बीटा कैरोटीन, थायमीन, रिबोफ्लैविन और विटामिना सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। बेल के फल का जीवनकाल काफी लम्बा होता है। पेड़ से टूटनेे के कई दिन बाद भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। बेल का रस कोलेस्ट्राल के स्तर को नियन्त्रित रखने में मददगार होता है। बेल के रस को शहद के साथ मिलाकर पीने से एसिडिटी में राहत मिलती है। बेल के रस में कुछ मात्रा गुनगुने पानी की मिला लें और इसमें थोड़ी सी शहद डालें, इस पेय के नियमित सेवन से खून साफ हो जाता है। बेल का रस तैयार करके उसमें कुछ बूंदें घी की मिला दीजिए, इस पेय को हर रोज निश्चित मात्रा में लें। इसके नियमित सेवन से दिल से जुड़ी बीमारियों से बचाव होता है। यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक होता है। उन्होंने बताया की कोरोना की वैज्ञानिकों द्वारा तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है ऐसे में बेल का प्रयोग कर शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है।
