नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने मंगलवार को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सम्मेलन में अपने संबोधन में कहा, ‘मानसिक स्वास्थ्य एक सार्वभौमिक मानव अधिकार है।’ उन्होंने वर्चुअल तौर पर निमहंस में नई सुविधाओं का उद्घाटन किया और टेली-मानस का लोगो भी लॉन्च किया। इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल भी उपस्थित थे।
सभा को संबोधित करते हुए, डॉ. मांडविया ने देश के सभी नागरिकों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल का लाभ दूर-दराज के क्षेत्रों तक सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने के संकल्प की सराहना की। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राष्ट्रीय टेली-मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (टेली-मानस) का उदाहरण देते हुए इस बात पर जोर दिया कि ‘मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में प्रौद्योगिकी का उपयोग एक गुणक शक्ति है।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘पिछले साल विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर शुरू की गई टेली मानस सेवा ने अब तक 3,50,000 से अधिक लोगों को परामर्श दिया है और वर्तमान में 44 टेली मानस सेल के माध्यम से 2000 लोगों को परामर्श प्रदान करती है। इस हेल्पलाइन पर प्रतिदिन 1000 से अधिक कॉल आ रही हैं।’
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने टेली-मानस का लोगो लॉन्च किया। साथ ही, उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज, बैंगलोर में नई सुविधाओं अर्थात् प्लैटिनम जुबली ऑडिटोरियम और अकादमिक सुविधा, एनआईएमएचएएनएस में नया प्रशासनिक कार्यालय परिसर, सेंटर फॉर ब्रेन एंड माइंड का उद्घाटन किया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर ने मानसिक स्वास्थ्य, तंत्रिका संबंधी विकारों और मादक द्रव्यों के सेवन संबंधी विकारों के लिए प्राथमिकता सेवाओं के रूप में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के साथ मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के एकीकरण की सुविधा प्रदान की है। जिला स्तरीय गतिविधियां जिला अस्पताल में स्थापित एक समर्पित जिला मानसिक स्वास्थ्य क्रियाकलाप टीम द्वारा आयोजित की जाती हैं। इसके अतिरिक्त, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए ओपीडी, परामर्श, देखभाल और चिकित्सा सहायता प्रदान की जाती है। इन्हें देश भर में स्थित 1.6 लाख एबी-एचडब्ल्यूसी के माध्यम से प्रदान किया जा रहा है। प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना के अंतर्गत मानसिक स्वास्थ्य भी शामिल है।”
डॉ. मांडविया ने यह भी कहा, “मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के कवरेज और पहुंच में सुधार के लिए, सभी 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 743 जिलों में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिला स्तरीय गतिविधियों का समर्थन किया गया है।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि तृतीयक स्तर पर, देश में कुल 47 सरकारी मानसिक स्वास्थ्य अस्पताल हैं, जिनमें बेंगलुरु, रांची और तेजसपुर में तीन केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान शामिल हैं। कई अन्य केंद्रीय और राज्य सरकार के अस्पतालों में मनोरोग विभाग हैं। इसके अलावा, नव स्थापित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मनोचिकित्सा विभाग स्थापित किए गए हैं।
डॉ. मांडविया ने राज्यों के निष्पादन के लिए उनकी सराहना की, और राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में सबसे अधिक कॉल प्राप्त करने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को स्मृति चिन्ह के साथ सराहना प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। बड़े राज्यों की श्रेणी में पहली से तीसरी रैंकिंग तक तमिलनाडु, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश को पुरस्कृत किया गया। जबकि, छोटे राज्यों की श्रेणी में तेलंगाना, झारखंड और केरल को उनके प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। उत्तर-पूर्व श्रेणी में असम, मिजोरम और मणिपुर राज्यों को पुरस्कार मिला, और केंद्र शासित प्रदेश श्रेणी में जम्मू-कश्मीर, दिल्ली तथा दादरा और नगर हवेली और दमन व दीव को पुरस्कार मिला।
जागरूकता बढ़ाने और अंतिम छोर तक स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता और संकल्प पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. मांडविया ने कहा, “टेली-मानस के अलावा, सरकार ने राष्ट्रीय बाल के तहत बच्चों और महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान के लिए स्वास्थ्य कार्यक्रम, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम और आरसीएच कार्यक्रम जैसे कई कदम उठाए हैं। जैसे-जैसे जीवन प्रत्याशा में सुधार हो रहा है, बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जा रहा है।” उन्होंने सभी से डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग का लाभ उठाने का भी आग्रह किया, ताकि स्वास्थ्य देखभाल हर किसी तक पहुंच सके, उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों में महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं के रूप में नशीली दवाओं की लत और कार्यस्थल से जुड़े तनाव का हवाला दिया।
मानसिक स्वास्थ्य के महत्व और प्रभाव के बारे में चर्चा करते हुए, डॉ. पॉल ने कहा, “मानसिक स्वास्थ्य की अदृश्यता कुछ मायनों में व्यक्तियों, परिवारों आदि तक पहुंचने की हमारी क्षमता से समझौता करती है, लेकिन साथ ही हमें नहीं भूलना चाहिए कि देश की उत्पादकता, भलाई, सामाजिक संतुलन भी मानसिक और आध्यात्मिक रूप से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “समग्र-समाज का दृष्टिकोण, यानी जन आंदोलन का दृष्टिकोण पीड़ितों को सहायता और देखभाल प्रदान करने में अत्यधिक लाभ प्रदान करेगा।”
इस कार्यक्रम में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के महासचिव डॉ. भरत लाल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की अपर सचिव एवं एमडी (एनएचएम) एल.एस. चांगसेन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार इंद्राणी कौशल, राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डॉ. बी.एन. गंगाधर, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान की निदेशक डॉ. प्रतिमा मूर्ति, सशसत्र बल चिकित्सा सेवा के महानिदेशक एवीएसएम, वीएससम, पीएचएस लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के भारत के प्रतिनिधि डॉ. रोडेरिको एच. आफ्रिन, एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (एमएसएसआरएफ) की अध्यक्ष और विश्व स्वास्थ्य संगठन की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने इस कार्यक्रम में वर्चुअल तौर पर भाग लिया।