कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित अनोगी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र, के मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने जलालाबाद ब्लॉक के ग्राम पचपुखरा में किसानों को गेहूं फसल में एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कृषक प्रशिक्षण के दौरान किसानों को बताया कि रासायनिक उर्वरकों के अधिकाधिक प्रयोग करने से एवं जैविक खादों के प्रयोग न करने से मृदा में जीवांश कार्बन की गिरावट आई है। जिससे मृदा का स्वास्थ्य असंतुलित हो गया है। उन्होंने बताया कि एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन सिद्धांत का अर्थ लंबे समय तक टिकाऊ खेती से फसल उत्पादकता के लिए मृदा उर्वरता को बनाए रखना होता है।
डॉ. खलील खान ने बताया कि कई प्रयोगों से सिद्ध हुआ है कि गोबर की सड़ी खाद, केंचुआ खाद, नाडेप कंपोस्ट, हरी खाद एवं उर्वरकों के एकीकृत प्रयोग से विभिन्न फसल प्रजातियों से मृदा उर्वरता में सुधार के कारण अधिक उत्पादन प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि कंपोस्ट खाद व उर्वरकों के प्रयोग से जहां पादप पोषकों में वृद्धि हुई है। वही अप्रत्यक्ष रूप से मृदा के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों में सुधार हो कर फसल उत्पादकता बढ़ी है। उन्होंने बताया कि एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन से मृदा में मुख्य पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस पोटाश द्वितीयक पोषक तत्व सल्फर, कैल्शियम एवं मैग्नीशियम के अतिरिक्त सूछ्म पोषक तत्व जैसे जिंक, आयरन, मैग्नीज, कॉपर, मॉलीब्लेडिनम, लोहा, मैगनीज आदि पोषक तत्वों की फसलों में उपलब्धता बढ़ी है। जिससे फसल का उत्पादन अधिक होता है। उन्होंने उपस्थित किसानों से अपील की है कि वे अपनी फसलों में एकीकृत पोषक तत्व प्रयोग करें। इससे गुणवत्ता पूर्ण कृषि उत्पाद होगा तथा पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।
मौसम वैज्ञानिक अमरेंद्र सिंह ने बताया कि किसान भाई फसल बुवाई करते समय मौसम का अवश्य ध्यान रखें।इस अवसर पर ग्राम पचपुखरा के राहुल, सर्वदीप सिंह सहित अन्य किसान उपस्थित रहे।