कानपुर। चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शोध निदेशक डॉ एच जी प्रकाश ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर एवं बागवान भाइयों के यहां रोपित बेल के पेड़ों में फल झड़ने, पत्तियां व टहनियां सूखने की समस्या आ रही है तथा जो फल लगे हुए हैं वे पेड़ पर ही सूख रहे हैं तथा पौधे भी सूख रहे हैं जिससे उत्पादन प्रभावित हो रहा है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डीआर सिंह के कुशल मार्गदर्शन एवं निदेशक शोध की अध्यक्षता में गठित समिति जिसमें डॉ वीके त्रिपाठी, डॉ एसके विश्वास, डॉक्टर वाइ पी मलिक, डॉ संजीव कुमार, डॉ रविंद्र कुमार आदि वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने गहन विचार उपरांत बेल के पौधों की समस्याओं के निराकरण हेतु शोध का निर्णय लिया है। डॉक्टर प्रकाश ने बताया कि बेल एक गुणकारी पौधा है अब विश्वविद्यालय बेल पर शोध करेगा। डॉक्टर प्रकाश ने कहा की बेल बहुत ही पुराना वृक्ष है भारतीय ग्रंथों में इसे दिव्य वृक्ष कहा गया है। उन्होंने कहा की बेल के अनगिनत फायदे हैं और औषधि गुण हों जैसे रतौंधी, सिरदर्द, हृदय रोग, टीबी, बदहजमी, दस्त रोकने, पीलिया और एनीमिया जैसे रोगों में काफी लाभदायक है। डॉ प्रकाश ने बताया कि भारत में बेल के फलों का क्षेत्रफल 65.06 लाख हेक्टेयर तथा उत्पादन 973.6 मेट्रिक टन है। जबकि उत्तर प्रदेश में बेल फल का क्षेत्रफल 4.77 लाख हेक्टेयर और उत्पादन 10.5 लाख मैट्रिक टन है। उन्होंने बताया कि इसके वृक्ष छारीय एवं बंजर भूमियों में जिन का पीएच मान 10 तक होता है आसानी से उगाए जाते हैं। तथा इसका पौधे 15 से 30 फीट तक की ऊंचाई व काफी मजबूत होते हैं। सहायक निदेशक शोध डॉ मनोज मिश्र ने बताया की बेल की सौ ग्राम खाने योग्य गूदे में 61.5 ग्राम नमी, 1.8 ग्राम प्रोटीन,0.39 ग्राम वसा, 31.8 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 1.7 ग्राम खनिज लवण, 55 मिलीग्राम कैरोटीन, 0.13 मिलीग्राम थायमीन, 1.19 मिलीग्राम रिबोफ्लेविन और 8 मिलीग्राम विटामिन सी पाया जाता है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी लाभप्रद है।