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अधिक लाभ के लिए बदलते मौसम में करें ग्लेडियोलस की देखभाल : डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी

कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह के निर्देशन में उद्यान विज्ञान विभाग के प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी ने बताया कि विभिन्न रंग बिरंगे फ्लोरेट्स के साथ कट फ्लावर के रूप में अतिथियों को देने के लिए बुके के रूप में प्रयोग किये जाने वाले ग्लेडियोलस के कॉर्म्स को सामान्यतः: अक्टूबर के महीने में समतल खेत में या मेड बनाकर 20 x 20 सेंटीमीटर या 25 से 30 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाते है।

वैसे तो सामान्यतः ग्लेडियोलस शरद ऋतु में ही 18 से 25 डिग्री सेल्सियस तापक्रम पर अच्छी तरह पुष्पन करता है लेकिन जब तापक्रम 1 से 4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तब उस पर पुष्पन कम हो जाता है और यदि किसान भाइयों ने रोपड़ देर से (नवंबर के अंतिम सप्ताह से दिसंबर में) किया है। तो इस समय पौधों की वृद्धि अधिक प्रभावित होती है। 1 डिग्री सेल्सियस तापक्रम पहुंचने पर पौधों की स्पाइक भी प्रभावित हो जाती है। और उसमें फ्रीजिंग इंजरी हो जाती है। इससे बचाव के लिए खेत में पलवार बिछाकर नमी बनाए रखना अति आवश्यक होता है। जब स्पाइक निकलना प्रारंभ हो जाए तब डंडे की सहायता   से पौधों को सपोर्ट देना भी आवश्यक है  इसके लिए डंडे को इस प्रकार से गाडते हैं कि कॉर्म्स क्षतिग्रस्त न हो, और निकल रही स्पाइक को बांध देते हैं और पौधे के पास हल्की मिट्टी भी चढ़ाना अति आवश्यक होता है। डॉक्टर त्रिपाठी ने बताया कि स्पाइक का नीचे का फूल से हल्का रंग दिखाई देने लगे तो स्पाइक को सावधानीपूर्वक तेज चाकू से काट कर, पानी भरी बाल्टी में रखते जाते हैं और बाद में उनको ऊपर के सभी फ्लोरेट्स क्षतिग्रस्त हुए बिना लंबे (ट्यूबलाइट के) डिब्बे में इस प्रकार रखते हैं कि उनके फ्लोरेट्स क्षतिग्रस्त न होने पाए। इस प्रकार से एक कोर्म्स लगाने पर कम से कम दो से तीन स्पाइक और बाद में दो से तीन कोर्म्स और 15 से 20 कारमेल्स प्राप्त हो जाने के कारण एक हेक्टेयर क्षेत्र से डेढ़ से दो लाख की आय किसान को प्राप्त हो जाती है। 

किसान लाल रंग के फ्लोरेट्स वाली स्पाइक प्राप्त करने के लिए फातिमा, बंटम, डिकेनथालोन, आदि, सफेद रंग के लिए अल्थीना, ड्रीम गर्ल, ईस्टर्न स्टार, सुपरस्टार, मून फ्रॉस्ट, आदि, पीले रंग के लिए गोल्डन हार्वेस्ट, लाइमलाइट, मेडूसा सपना स्वीट फेरी, आदि, ऑरेंज के लिए फीस्टर, ऑरेंज ब्यूटी, टेनजरइन, जिप्सी डांसर, आदि और जातियों को अपनी पसंद के अनुसार लगा सकते हैं। उन्होंने किसानों को सलाह दी है की अत्यधिक ठंड में ग्लेडियोलस की खेती का प्रबंधन करके सभी स्पाइक्स को बचाया जा सकता है।

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