के0 एम0 भाई
बावरा मन कहता है,
बन भौरा मैं यूँ ही, खुशियां लुटाता रहूँ।
न कोई हिसाब हो न हो कोई व्यापार,
ज़िन्दगी के सफर में…
यूँ ही सपने सजाता रहूँ,
बन भौरा मैं यूँ ही, खुशियां लुटाता रहूँ।
न पथ की चिंता हो, न हो पथिक का इंतज़ार
इंसानियत की राह पे……
यूँ ही हमसफर बनाता रहूँ,
बन भौरा मैं यूँ ही, खुशियां लुटाता रहूँ।
शर्म लाज का मोह न हो, न हो सवाल जवाब,
खुशियों की इस बगिया में…..
यूँ ही प्रेम रस फैलाता रहूँ,
बन भौरा मैं यूँ ही, खुशियां लुटाता रहूँ।
न कुछ खोने का डर हो, न हो पाने का लालच
जीवन रुपी इस नैया को…..
यूँ ही ख़ुशी-ख़ुशी पार लगाता रहूँ
बन भौरा मैं यूँ ही, खुशियां लुटाता रहूँ…
बन भौरा मैं यूँ ही, खुशियां लुटाता रहूँ।