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जानिए, इस प्रकार बढ़ाएं लहसुन की गुणवत्ता और भंडारण क्षमता

कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय  के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह द्वारा जारी निर्देश के क्रम में कल्याणपुर स्थित शाकभाजी अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. आई. एन.शुक्ला ने सोमवार को लहसुन उत्पादक किसानों को एडवाइजरी जारी कर कहा है कि लहसुन हमारे देश एवं प्रदेश की महत्वपूर्ण शल्क कंदी (बल्ब) फसल है। देश में लहसुन के उत्पादन में राजस्थान प्रथम स्थान पर है जबकि दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश है। लहसुन का प्रयोग सब्जी, मसाला तथा अचार बनाने में किया जाता है। डॉक्टर शुक्ला ने कहा कि लहसुन की बुवाई अक्टूबर में करके किसान अप्रैल के महीने में इसकी खुदाई करते हैं। अप्रैल के महीने में जब लहसुन की पत्तियां पीली पड़ने लगे तथा कंद के पास गर्दन से नरम होकर झुकने लगे एवं कंद के रंगों में चमक आ जाए, तब इसे खुदाई योग्य समझना चाहिए। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे लहसुन की खुदाई अपरिपक्व अवस्था में कदापि ना करें अन्यथा लहसुन के कंद की गुणवत्ता व भंडारण क्षमता कम हो जाती है। जिससे किसान की आय में विपरीत असर पड़ सकता है।

डॉक्टर आई. एन. शुक्ला ने किसानों से लहसुन की गुणवत्ता एवं भंडारण क्षमता बनाए रखने के लिए कहा कि लहसुन खुदाई से 20 – 25 दिन पहले 3000 पीपीएम मैलिक हाइड्रोक्साइड दवा का छिड़काव कर देने से लगभग 300 दिन तक लहसुन को प्रतिकूल असर से बचाया जा सकता है। लहसुन की खुदाई से 15 दिन पूर्व सिंचाई देना बंद कर देना चाहिए। जिससे गुणवत्ता क्षमता में वृद्धि हो जाती है तथा खुदाई के उपरांत लहसुन के डंठल को बल्ब से 2 – 3 सेंटीमीटर गर्दन छोड़कर कटाई करें व बल्ब से मिट्टी इत्यादि को अच्छी प्रकार से साफ करके छायादार स्थान में 4 – 5 दिन तक रखना चाहिए। इसके बाद कटे-फटे बल्ब को अलग कर देना चाहिए समान रंग आकार के बल्ब को हवादार कमरे में लटका कर रखें या भंडारण के लिए हवादार प्लास्टिक के कैरेट्स में रखकर हवादार कमरों में रखना चाहिए। इस तरह लहसुन में भंडारण क्षमता बढ़ जाती है।

शाकभाजी अनुसंधान केंद्र के प्रभारी एवं संयुक्त निदेशक शोध डॉ. डी.पी. सिंह ने कहा कि लहसुन में औषधि गुण होते हैं। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फास्फोरस के साथ विटामिंस भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। लहसुन का तीखापन डाईएलील डाईसल्फाइड के कारण होता है। डॉ. सिंह ने कहा कि औषधीय गुणों से भरपूर लहसुन का प्रयोग आयुर्वेदिक और यूनानी पद्धति में औषधि के विभिन्न रूपों में प्रयोग किया जाता है। यह बातहर तथा भोजन के पाचन में गैसहर के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। लहसुन में कीटनाशक, कवक नाशक गुन भी पाए जाते हैं यह जोड़ों में दर्द तथा कोलेस्ट्रोल को कम करता है।

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