कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर.सिंह द्वारा जारी निर्देश के क्रम में आज विश्वविद्यालय के प्रसार निदेशालय में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. एस. बी. पाल ने फसलों की गुणवत्ता हेतु अपनाएं एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर जानकारी दी है। डॉक्टर पाल ने बताया कि मृदा में लगातार रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से फसलों की उत्पादकता एवं गुणवत्ता में गिरावट तथा मानव शरीर एवं पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि पौधों में पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए मृदा में संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन करना अति आवश्यक हो गया है। उन्होंने बताया कि पोषक तत्वों की पूर्ति सभी उपलब्ध संसाधनों के समन्वय के द्वारा की जा सकती है। डॉक्टर पाल ने बताया कि फसलों के संपूर्ण विकास के लिए 17 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।इनमें से तीन पोषक तत्व कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन पौधे वायु एवं जल से प्राप्त करते हैं। तथा अन्य पोषक तत्व नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर,आयरन, मैंगनीज, जिंक, बोरान,मॉलिब्डेनम, व निकिल पौधे मृदा से प्राप्त करते हैं इसलिए मृदा में इन सभी पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध होनी चाहिए उन्होंने बताया कि अधिक से अधिक फसल उपज मिल सके व मृदा स्वास्थ्य बरकरार बनी रहे इसके लिए जरूरी है कि कार्बनिक एवं अकार्बनिक खादों का समन्वित प्रयोग किया जाए । विश्वविद्यालय की मीडिया प्रभारी एवं मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने बताया कि एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन के लिए रासायनिक खादों के अतिरिक्त जैव उर्वरक, फसल अवशेष,जीवाणु खाद एवं हरी खादों का किसान मृदा में प्रयोग करें। जिससे संतुलित उर्वरक प्रबंधन हो सके।
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