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खरीफ में प्याज से कमाएं अधिक मुनाफा : डॉ वी. के.कनौजिया

कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित अनौगी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. वी.के. कनौजिया का कहना है कि खरीफ में प्याज उगाकर रबी प्याज की तुलना कम से कम दोगुना मुनाफा कमाया जा सकता है। खरीफ प्याज के लिए 15 जून तक बीज की बुवाई पौधशाला( नर्सरी) में कर देनी चाहिए। एक हेक्टेयर में प्याज के रोपण हेतु 500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में पौध उगाने की आवश्यकता होती है। खरीफ प्याज की प्रचलित प्रजातियां एन-53, एग्रीफाउंड डार्क रेड आदि के 8 से 10 किग्रा/है. बीज की आवश्यकता होती है। पौधशाला का स्थान ऊंचाई पर होना चाहिए। जिससे जल निकास आसानी से हो सके। भूमि को 4 से 5 बार अच्छी जुताई करके भुरभुरा कर आवश्यक मात्रा में सड़ी हुई गोबर की खाद को मिलाने के ऊपर उपरांत 1 मीटर चौड़ी तथा 10 से 15 सेंमी उठी हुई क्यारियां बना लेनी चाहिए। प्रत्येक दो क्यारियों के बीच 30 से 40 सेंटीमीटर का स्थान नाली के रूप में तथा आवागमन हेतु छोड़ देना चाहिए। बुवाई करने के पूर्व बीज को 2 ग्राम थीराम तथा 1 ग्राम कार्बेंडाजिम से प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित कर लेना चाहिए। क्यारियों के ऊपर 5 से 7 सेंमी की दूरी पर 1.5 से 2.0 सेंमी गहरी पतली नाली में बीज की बुवाई करने के उपरांत बीज को हल्की भुरभुरी मिट्टी अथवा साड़ी गोबर की खाद से ढक दिया जाना चाहिए तथा ऊपर से धान के पुआल अथवा फसल अवशेषों की बिछावन डालने के बाद हजारे की सहायता से पानी दिया जाना चाहिए। प्रत्येक दिन सुबह अथवा सायं कालीन हजारे से  हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए। जैसे ही जमाव पूर्ण हो जाए तो बिछावन को हटा देना  चाहिए। जब पौध मजबूत हो जाए उसके बाद नालियों के द्वारा हल्की सिंचाई करनी चाहिए। आवश्यकतानुसार खरपतवारों को पतली खुरपी की सहायता से निकालते रहें। इस प्रकार खरीफ में बुवाई के 40 से 45 दिन बाद पौध रोपण हेतु तैयार हो जाती है जिसका रोपण 15 अगस्त के उपरांत जब बारिश हल्की हो जाए तो मुख्य खेत में किया जाना चाहिए। 

डॉ. अमर सिंह, वैज्ञानिक, उद्यान ने बताया कि खरीफ प्याज का रोपण छोटी-छोटी गांठों के द्वारा भी किया जाता है। पौध हेतु बीज की बुवाई मध्य मार्च से मध्य अप्रैल के बीच की जाती है। जिससे मध्य जून तक 55 से 60 दिनों में प्याज की छोटी छोटी गांठें बन जाती हैं जिनका आकार 1.5 से 2.0 सेमी होता है। इन्हें उखाड़ने के बाद हवा तथा छायादार स्थान पर रखा जाता है। रोपण के पूर्व गांठों को सूखे पौधों से अलग कर शोधित करने के बाद प्याज की छोटी-छोटी गांठों की रोपाई मुख्य खेत में 20 से 25 सेमी पंक्ति से पंक्ति तथा 10 से 12 सेमी पौधे से पौधे की दूरी पर की जानी चाहिए।

डॉ खलील खान, वैज्ञानिक, मृदा विज्ञान ने बताया कि रोपण के 15 दिन पूर्व खेत में 20 टन/है. साड़ी गोबर की खाद मिला देना चाहिए। आवश्यकतानुसार एक गहरी जुताई तथा 3 से 4 जुताई कल्टीवेटर से करके भूमि को भुरभुरा बना लेना चाहिए। अच्छे उत्पादन हेतु 120 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा फास्फोरस, 60 किग्रा पोटाश तथा 25 किग्रा गंधक की आवश्यकता होती है। बुवाई के ठीक पहले आधी मात्रा नाइट्रोजन तथा पूरी मात्रा में अन्य पोषक तत्वों को भूमि में मिला देना चाहिए। शेष नाइट्रोजन को दो बराबर हिस्सों में खड़ी फसल में 30 तथा 45 दिन बाद देना चाहिए।

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