कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह द्वारा जारी निर्देश के क्रम में शुक्रवार को सब्जी अनुभाग कल्याणपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राम बटुक सिंह ने खरीफ में प्याज की वैज्ञानिक खेती की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्याज एक नकदी फसल है। जिसमें विटामिन सी, फास्फोरस आदि पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। प्याज का उपयोग सलाद, सब्जी, अचार एवं मसाले के रूप में किया जाता है। हमारे देश में रबी एवं खरीफ दोनों ऋतुओ में प्याज उगाया जाता है। डॉ. सिंह ने बताया कि प्याज शीतोष्ण जलवायु की फसल है। हल्के मौसम में इसकी अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। प्याज के अच्छे विकास के लिए 13 से 24 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान एवं 70% आर्द्रता की आवश्यकता होती है। प्याज के लिए दोमट एवं जलोढ़ मिट्टी जिसमें पर्याप्त कार्बनिक मात्रा एवं उचित जल निकास की सुविधा हो उचित रहती है। उन्होंने बताया कि प्याज की नर्सरी के लिए जून का महीना सर्वोत्तम होता है। एक हेक्टेयर प्याज की नर्सरी के लिए 10 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है।
डॉ. सिंह ने खरीफ की बुवाई हेतु उन्नतशील प्रजातियों के बारे में बताया कि एन-53,एग्रीफाउंड डार्क रेड, भीमा सुपर, भीमा डार्क रेड और अर्का कल्याण और अर्का निकेतन प्रमुख उन्नतशील प्रजातियां हैं। उर्वरकों के प्रबंधन हेतु उन्होंने बताया कि 250 कुंतल सड़ी हुई गोबर की खाद, 120 किलोग्राम डीएपी, 100 किलोग्राम यूरिया, 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट तथा 50 किलोग्राम बेंटोनाइट सल्फर प्रति हेक्टेयर रोपाई के पूर्व खेत में मिला दें। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि यदि ब्याज की वनस्पति की वृद्धि कम हो तो 19:19:19 पानी में घुलनशील उर्वरक 15, 30 एवं 45 दिनों बाद 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर दें। प्याज की फसल रोपाई के 90 से 120 दिन बाद परिपक्व हो जाती है, तब खुदाई कर ले। उन्होंने कहा कि यदि किसान वैज्ञानिक विधि से प्याज की खेती करते हैं तो एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में औसतन 250 कुंतल प्याज की उपज प्राप्त होगी। जिससे किसान को लाभ होगा।