कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह द्वारा जारी निर्देश के क्रम में रविवार को बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. ए. एल. जाटव ने बताया कि सब्जी फलों से बीज निकालने की विधियां एवं रखरखाव महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि सब्जियों में खास तौर पर टमाटर से बीज निकालने में किण्वन विधि प्रयोग की जाती है। कटे हुए फलों को मिट्टी के बर्तन में रखकर बारीकी से मसल लेते हैं। आवश्यकतानुसार पानी मिलाकर छोड़ देते हैं, कुछ समय बाद पानी की सतह पर झाग दिखाई देता है जो टमाटर के गूदे में मौजूद साइट्रिक, ऑक्जेलिक एवं एस्कॉर्बिक अम्लों के कारण होता है। जो टमाटर के गूदे को गलाते हैं तथा गले हुए गूदे को छान लें तथा और पानी से निकाले गए बीजों को 8 से 10 बार धोकर पतली परत बिछाकर धूप में सुखा लिया जाता है। डॉ. जाटव ने दूसरी विधि के बारे में बताया कि 4 लीटर उबले हुए पानी में 900 ग्राम वाशिंग सोडा में 5 किलो टमाटर के फलों का गूदा मिलाया जाता है रात भर रखने से बीज गूदे से निकलकर नीचे पहुंच जाते हैं। गूदा व पानी को निकाल अलग कर देते हैं फिर बीजों को 8 से 10 बार धो कर सुखा देते हैं।
एक अन्य विधि के बारे में बताया कि टमाटर के फलों को बारीकी से मसलकर इसमें 5 से 6 मिलीलीटर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल प्रति किलोग्राम की दर से मिला दिया जाता है और 30 मिनट के बाद साफ पानी में ठीक से धो लिया जाता है और बीजों को धूप में सुखा लिया जाता है। डॉक्टर जाटव ने बीजों के रखरखाव के बारे में बताया कि बीजों को अच्छी प्रकार से धूप में सुखा लेना चाहिए। जिससे बीजों को किसी प्रकार की क्षति न हो तत्पश्चात बीजों की ग्रेडिंग कर लेना चाहिए। वांछित रसायनों से उपचार करने के बाद बीजों को नमी की उचित मात्रा तक सुखाकर (8%) बीजों को पॉलीथिन के थैलों में भरकर भंडारित करना चाहिए। जिससे बीजों की जीवन क्षमता 2.5 से 30 महीने तक 70 से 80% अंकुरण के साथ बनी रहे।
डॉक्टर जाटव ने बताया कि यदि किसान भाई टमाटर का बीज स्वयं तैयार कर लेते हैं तो बीज खरीद पर होने वाले व्यय की बचत होगी और आर्थिक लाभ होगा। उन्होंने किसानों से कहा कि अधिक जानकारी के लिए विभाग में आकर संपर्क कर सकते हैं।