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लोककथा परंपराओं को पुनर्जीवित करके उनका उपयोग सामाजिक परिवर्तन के लिए किया जाना चाहिए : उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू

नई दिल्ली। भारतीय लोक कथाओं की परंपराओं का समारोह मनाने वाले एक कार्यक्रम को वर्चुअल रूप में संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भारत में लोक कला और मौखिक परंपराओं के महान इतिहास और समृद्ध विविधता पर प्रकाश डाला और उन्हें लोकप्रिय बनाने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने कहा ‘हमारी भाषा की सूक्ष्मता, हमारे परंपरागत व्यवहारों की संपूर्णता तथा हमारे पूर्वजों के सामूहिक ज्ञान का सामान्य प्रवाह लोक कथाओं में होता रहा है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जनता में राजनीतिक और सामाजिक चेतना लाने में लोककथा की परंपराएं महत्वपूर्ण रहीं। सच्चे अर्थों में लोक कथा लोक साहित्य है।’ उपराष्ट्रपति ने भारतीय लोक कथाओं को पुनर्जीवित करने और लैंगिक भेदभाव रोकने तथा लड़कियों की सुरक्षा जैसे सामाजिक कारणों की हिमायत करने में लोक कथाओं की क्षमता का उपयोग करने का आह्वान किया है।

उन्होंने विभिन्न परंपरागत लोक विधाओं की लोकप्रियता में धीरे-धीरे हो रही गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लोक कला के विभिन्न रूपों का उपयोग करने वाले समुदाय विलुप्त हो रहे हैं। उन्होंने ऐसे समुदायों से आने वाले युवाओं को कौशल और प्रशिक्षण देने का सुझाव दिया ताकि लोक कलाओं को पुनर्जीवित किया जा सके। उन्होंने युवाओं से हिमायत और सामाजिक परिवर्तन के साधनों के रूप में लोक मीडिया का उपयोग करने को कहा। 

नायडू ने अपने देश की लोक कथाओं की परंपराओं का समृद्ध डाटाबेस विकसित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि ऑडियो-विजुअल मीडिया का उपयोग करके व्यापक प्रलेखन किया जाना चाहिए और इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि आधुनिक रूप देने के लिए अनुवाद की प्रक्रिया में उनका सार-तत्व नष्ट नहीं हो।

ग्रामीण क्षेत्रों में संरक्षण के कारण इतिहास में भारत की लोककथा फली-फूली। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ग्रामीण भारत और लोककथा को एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे ग्रामीण जीवन में हमारी सभ्यता के मूल्य और सांस्कृतिक परंपराएं अंतर्निहित हैं। 

उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर कर्नाटक लोककथा विश्वविद्यालय, जो कर्नाटक जनपद विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है, की स्थापना के लिए कर्नाटक सरकार की सराहना की। यह विश्वविद्यालय लोककथा के अध्ययन और शोध के लिए विशेष रूप से समर्पित है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय हमारी लोक विधाओं के प्रति आवश्यक जागरूकता की आवश्यकता पूरी करता है।

उपराष्ट्रपति ने राज्य सांस्कृतिक विभाग और बल्लारी के जिलाधिकारी द्वारा उनके सम्मान में हाल ही में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रदर्शन करने वाले कलाकारों की सराहना की। उन्होंने विशेष रूप से होसपेट की 15 वर्षीय मीरा द्वारा प्रस्तुत किए गए लोक गीतों और सत्यनारायण व उनकी मंडली द्वारा प्रस्तुत कर्नाटक लोक नृत्य की सराहना की।

कार्यक्रम में लोक गायक दामोदरम गणपति राव, लोककथा शोधकर्ता डॉ. सगीली सुधारानी, लोक गायक डॉ. लिंगा श्रीनिवास व अन्य लोक कलाकारों व उत्साही लोगों ने वर्चुअल रूप में भाग लिया।

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