कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह ने सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं दी हैं। कुलपति ने कहा कि दुनिया में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता व बहुभाषिकता को बढ़ावा देने के लिए, साथ ही साथ मातृ भाषाओं से जुड़ी जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से यह दिन मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का विषय बहुभाषी शिक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चुनौतियां और अवसर है। उन्होंने कहा कि हिंदी दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है।
कुलपति ने बताया कि वर्ल्ड लैंग्वेज डेटाबेस के 22वें संस्करण इथोनोलॉज के मुताबिक दुनिया भर की 20 सबसे ज्यादा बोली भाषाओं में 6 भारतीय भाषाएं हैं। उन्होंने कहा कि मातृभाषा की मदद से न सिर्फ क्षेत्रीय भाषा के बारे में जानने समझने में सहूलियत मिलती है।बल्कि एक-दूसरे से बातचीत करना भी आसान बन जाता है। उन्होंने कहा कि एक दूसरे से बातचीत करने और विचार साझा करने में भाषा ही अहम माध्यम है। कुलपति ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2022 और वर्ष 2032 के बीच की अवधि को स्वदेशी भाषाओं के अंतरराष्ट्रीय दशक के रूप में नामित किया है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृ भाषाओं के विकास पर अधिकतम ध्यान दिया गया है। इस नीति में सुझाव दिया गया है कि जहां तक संभव हो शिक्षा का माध्यम कम से कम कक्षा 5 तक मातृभाषा/ क्षेत्रीय भाषा होनी चाहिए।मातृभाषा में शिक्षा दिए जाने से यह छात्रों को उनकी पसंद के विषय और भाषा को सशक्त बनाने में मदद करेगा। यह भारत में बहुभाषी समाज के निर्माण, नई भाषाओं के सीखने की क्षमता आदि में मदद करेगा। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग भी देश में उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देता है शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुसार शिक्षा का माध्यम जहां तक व्यवहारिक हो बच्चे की मातृभाषा की होनी चाहिए। इसीलिए इसके महत्व को समझने के लिए ही अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।